वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र
भूमिका
हम सभी को, विशेषकर शुष्क मौसम में, स्वेटर अथवा संश्लिष्ट वस्त्रों को शरीर से उतारते समय चट-चट की ध्वनि सुनने अथवा चिनगारियाँ देखने का अनुभव होगा। विद्युत विसर्जन का एक अन्य सामान्य उदाहरण आकाश में गर्जन के समय तड़ित दिखाई देना है। इन अनुभवों के होने के कारण हमारे शरीर में से होकर उन वैद्युत आवेशों का विसर्जित होना है जो विद्युतरोधी पृष्ठों पर रगड़ के कारण एकत्र हो जाते हैं। स्थिरवैद्युतिकी के अंतर्गत हम स्थिर आवेशों द्वारा उत्पन्न बलों, क्षेत्रों तथा विभवों के विषय में अध्ययन करते हैं।
ऐतिहासिक रूप से, ऊन अथवा रेशमी वस्त्र से रगड़ा गया ऐम्बर हलकी वस्तुओं को आकर्षित करता है, इसकी खोज का श्रेय ग्रीस के थेल्स को जाता है। 'इलेक्ट्रिसिटी' शब्द ग्रीस भाषा के शब्द 'इलेक्ट्रॉन' से बना है जिसका अर्थ ऐम्बर है।
सजातीय आवेश एक-दूसरे को प्रतिकर्षित तथा विजातीय आवेश एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
अमेरिकी वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रेंकलिन ने आवेशों को धनात्मक तथा ऋणात्मक कहा।
काँच की छड़ पर आवेश को धनात्मक तथा प्लास्टिक-छड़ पर आवेश को ऋणात्मक कहा जाता है।
आवेशों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए स्वर्ण पत्र विद्युतदर्शी (Gold leaf electroscope) का उपयोग किया जाता है।
1.3 चालक तथा विद्युतरोधी
चालक (Conductors): जो पदार्थ आसानी से अपने में से होकर विद्युत को प्रवाहित होने देते हैं (जैसे- धातुएँ, मानव शरीर, पृथ्वी)
विद्युतरोधी (Insulators): जो पदार्थ विद्युत प्रवाह पर उच्च प्रतिरोध लगाते हैं (जैसे- काँच, प्लास्टिक, लकड़ी)।
1.4 वैद्युत आवेश के मूल गुण
आवेशों की योज्यता: किसी निकाय का कुल आवेश उसके विभिन्न अवयवी आवेशों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है ($q = q_1 + q_2 + ... + q_n$)।
वैद्युत आवेश संरक्षित है: किसी वियुक्त निकाय का कुल आवेश सदैव संरक्षित रहता है। आवेश न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट, केवल स्थानांतरित होता है।
वैद्युत आवेश का क्वांटमीकरण: सभी मुक्त आवेश परिमाण में आवेश की मूल इकाई ($e$) के पूर्णांकी गुणज होते हैं ($q = ne$)16 ।$e = 1.602192 \times 10^{-19} C$।
आवेश का SI मात्रक कूलॉम (C) है ।
1.5 कूलॉम नियम
कूलॉम का नियम दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाले बल का वर्णन करता है:
बल दोनों आवेशों के परिमाणों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
सूत्र: $F = k \frac{|q_1 q_2|}{r^2}$ या $F = \frac{1}{4\pi\epsilon_0} \frac{|q_1 q_2|}{r^2}$
20 20 20 20 ।$\epsilon_0$ (निर्वात की विद्युतशीलता) का मान $8.854 \times 10^{-12} C^2 N^{-1} m^{-2}$ है21 ।सदिश रूप में: $F_{21} = \frac{1}{4\pi\epsilon_0} \frac{q_1 q_2}{r_{21}^2} \hat{r}_{21}$
22 ।
1.6 बहुल आवेशों के बीच बल (अध्यारोपण का सिद्धांत)
किसी आवेश पर कई अन्य आवेशों के कारण बल उस आवेश पर लगे उन सभी बलों के सदिश योग के बराबर होता है जो इन आवेशों द्वारा इस आवेश पर एक-एक कर लगाया जाता है 23।
$F_1 = F_{12} + F_{13} + ... + F_{1n}$ 24।
1.7 विद्युत क्षेत्र
आवेश अपने चारों ओर विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है; जब इसमें कोई अन्य आवेश लाया जाता है तो वह बल अनुभव करता है
25 ।बिंदु आवेश $Q$ के कारण $r$ दूरी पर विद्युत क्षेत्र: $E(r) = \frac{1}{4\pi\epsilon_0} \frac{Q}{r^2} \hat{r}$
26 ।विद्युत क्षेत्र का SI मात्रक N/C (न्यूटन प्रति कूलॉम) है.
धनावेश के कारण विद्युत क्षेत्र बाहर की ओर और ऋणावेश के कारण अंदर की ओर होता है।
1.8 विद्युत क्षेत्र रेखाएँ
यह विद्युत क्षेत्र के चित्रात्मक निरूपण का एक उपाय है।
क्षेत्र रेखाएँ धनावेश से आरंभ होकर ऋणावेश पर समाप्त होती हैं।
दो क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटतीं ।
स्थिरवैद्युत क्षेत्र रेखाएँ बंद लूप नहीं बनातीं।
1.9 वैद्युत फ्लक्स
वैद्युत फ्लक्स ($\Delta\phi$) विद्युत क्षेत्र ($E$) और क्षेत्रफल सदिश ($\Delta S$) का अदिश गुणनफल है।
$\Delta\phi = E \cdot \Delta S = E \Delta S \cos\theta$।
मात्रक: $N C^{-1} m^2$।
1.10 वैद्युत द्विध्रुव
समान परिमाण एवं विपरीत प्रकृति के दो आवेशों ($q$ तथा $-q$) का युग्म जो एक-दूसरे से $2a$ दूरी पर हों, वैद्युत द्विध्रुव कहलाता है
द्विध्रुव आघूर्ण ($p$): $p = q \times 2a$। इसकी दिशा $-q$ से $q$ की ओर होती है
द्विध्रुव का विद्युत क्षेत्र:
अक्ष पर (Axial): $E = \frac{2p}{4\pi\epsilon_0 r^3}$ ($r >> a$ के लिए)।
विषुवतीय तल पर (Equatorial): $E = -\frac{p}{4\pi\epsilon_0 r^3}$ ($r >> a$ के लिए)।
एकसमान बाह्य क्षेत्र में द्विध्रुव पर बल आघूर्ण ($\tau$): $\tau = p \times E$।
1.12 संतत आवेश वितरण
रैखिक आवेश घनत्व ($\lambda$): $\lambda = \frac{\Delta Q}{\Delta l}$ (मात्रक: C/m)।
पृष्ठीय आवेश घनत्व ($\sigma$): $\sigma = \frac{\Delta Q}{\Delta S}$ (मात्रक: $C/m^2$)।
आयतनी आवेश घनत्व ($\rho$): $\rho = \frac{\Delta Q}{\Delta V}$ (मात्रक: $C/m^3$)।
1.13 गाउस नियम
किसी बंद पृष्ठ $S$ से गुजरने वाला कुल वैद्युत फ्लक्स उस पृष्ठ द्वारा परिबद्ध कुल आवेश ($q$) का $1/\epsilon_0$ गुना होता है।
$\phi = q/\epsilon_0$
1.14 गाउस नियम के अनुप्रयोग
अनंत लंबाई के सीधे तार के कारण विद्युत क्षेत्र:
$E = \frac{\lambda}{2\pi\epsilon_0 r} \hat{n}$।
एकसमान आवेशित अनंत समतल चादर के कारण विद्युत क्षेत्र:
$E = \frac{\sigma}{2\epsilon_0} \hat{n}$ ।
एकसमान आवेशित पतले गोलीय खोल के कारण विद्युत क्षेत्र:
खोल के बाहर ($r > R$): $E = \frac{q}{4\pi\epsilon_0 r^2} \hat{r}$ ।
खोल के भीतर ($r < R$): $E = 0$ ।
अभ्यास (प्रमुख प्रश्न)
प्रश्न - वायु में एक-दूसरे से 30 cm दूरी पर रखे दो छोटे आवेशित गोलों पर $2 \times 10^{-7} C$ तथा $3 \times 10^{-7} C$ आवेश हैं। उनके बीच बल ज्ञात करें।
हल - कूलॉम के नियम का उपयोग करके दो आवेशित गोलों के बीच बल की गणना इस प्रकार की जा सकती है:
दिया गया है:
पहले गोले पर आवेश ($q_1$) = $2 \times 10^{-7} C$
दूसरे गोले पर आवेश ($q_2$) = $3 \times 10^{-7} C$
2 दोनों गोलों के बीच की दूरी ($r$) = 30 cm = 0.3 m
3
सूत्र:
कूलॉम के नियम के अनुसार, दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला बल ($F$) है:
जहाँ $k = 9 \times 10^9 \, Nm^2C^{-2}$ है।
मानों को सूत्र में रखने पर:
उत्तर:
दोनों गोलों के बीच बल $6 \times 10^{-3} N$ है। चूँकि दोनों आवेश धनात्मक हैं, इसलिए यह बल प्रतिकर्षी (Repulsive) होगा।
- 10 cm भुजा के वर्ग के कोनों पर चार आवेश रखे हैं। केंद्र पर रखे $1 \mu C$ आवेश पर बल ज्ञात करें।
- एकसमान विद्युत क्षेत्र में घन से गुजरने वाला नेट फ्लक्स ज्ञात करें ।
- 10 cm त्रिज्या के चालक गोले के केंद्र से 20 cm दूरी पर विद्युत क्षेत्र $1.5 \times 10^3 N/C$ है। गोले पर नेट आवेश ज्ञात करें।
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