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भारतीय रिजर्व बैंक - प्रमुख तथ्य

​🏦 भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के महत्वपूर्ण तथ्य

​भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) भारत का केंद्रीय बैंक और देश की वित्तीय प्रणाली का शीर्ष निकाय है।

​📜 स्थापना और इतिहास

  • स्थापना: 1 अप्रैल, 1935 को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार हुई।
  • स्थापना का आधार: हिल्टन यंग कमिशन (रॉयल कमीशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फाइनेंस, 1926) की सिफारिशों पर की गई।
  • राष्ट्रीयकरण: शुरुआत में यह एक निजी बैंक था, लेकिन 1949 में इसका राष्ट्रीयकरण किया गया और यह भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व में आ गया।
  • मुख्यालय: प्रारंभ में इसका केंद्रीय कार्यालय कोलकाता में था, जिसे 1937 में स्थायी रूप से मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया।

​🧑‍💼 गवर्नर

  • प्रथम गवर्नर: सर ओसबोर्न स्मिथ (ब्रिटिश)।
  • प्रथम भारतीय गवर्नर: सी. डी. देशमुख।
  • वर्तमान गवर्नर (नवंबर 2025 तक): श्री संजय मल्होत्रा (हालांकि यह पद अक्सर बदलते रहते हैं, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए जाँच करें)।
    • (नोट: 2024 के अंत के आसपास, शक्तिकांत दास के बाद संजय मल्होत्रा ने कार्यभार संभाला है।)
  • विशेष तथ्य: डॉ. मनमोहन सिंह भारत के एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने RBI के गवर्नर के रूप में भी कार्य किया है।

​🏛️ मुख्य कार्य (Functions of RBI)

​RBI देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसके मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

  • मौद्रिक प्राधिकरण: मौद्रिक नीति तैयार करना, लागू करना और उसकी निगरानी करना। इसका मुख्य उद्देश्य मूल्य स्थिरता बनाए रखते हुए विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखना है।
  • मुद्रा जारीकर्ता: बैंक नोटों (मुद्रा) के निर्गमन (जारी करने) को विनियमित करना।
    • ​RBI ₹10,000 तक के नोट और ₹1,000 तक के सिक्के जारी कर सकता है। (सिक्कों को बनाने का काम भारत सरकार करती है, लेकिन RBI उन्हें जारी करता है।)
  • सरकार का बैंकर और सलाहकार: केंद्र और राज्य सरकारों के बैंकिंग कार्य करता है और उन्हें आर्थिक/मौद्रिक नीति से संबंधित मामलों पर सलाह देता है।
  • बैंकों का बैंकर: सभी वाणिज्यिक बैंकों के लिए समग्र निकाय के रूप में कार्य करता है, उन्हें ऋण देता है और उनके खातों का प्रबंधन करता है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षक: विदेशी विनिमय दर को स्थिर रखने के उद्देश्य से देश के विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन और सुरक्षा करता है।
  • वित्तीय प्रणाली का नियामक और पर्यवेक्षक: देश की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली के लिए विस्तृत मानदंड निर्धारित करता है ताकि जनता का विश्वास बना रहे और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा हो सके।

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