कोणों के प्रकार (Types of angles) –
समकोण
(Right
angle)
अधिक
कोण (Obtuse
angle)
ऋजु
कोण या सरल कोण (Straight angle)
प्रतिवर्ती
कोण (Reflex
angle)
जिस
कोण की माप 0 से अधिक लेकिन 90
से कम होती है , उस कोण को न्यून कोण कहते
हैं
।
जैसे
– 40, 50
,
60
जिस
कोण की माप 90 के बराबर होती है , उस कोण को समकोण कहते हैं ।
यह संकेत
90 को सूचित करता है ।
अधिक कोण (Obtuse angle) –
जिस
कोण की माप 90से
अधिक लेकिन 180
से कम होती है , उस कोण को अधिक कोण कहते हैं ।
जैसे
- 91,
95
,
110
,
160
आदि ।
यहाँ
ऋजु कोण या सरल कोण (Straight angle) –
जिस
कोण की माप अर्थात दो समकोण के बराबर हो , उसे ऋजु कोण या सरल कोण कहते हैं । इस कोण का निर्माण दो विपरीत किरणों
के मिलने से होता है ।
प्रतिवर्ती कोण या वृहद कोण या पुनर्युक्त कोण (Reflex angle) -
जिस
कोण की माप 180 से अधिक लेकिन 360
से कम हो ,
उस कोण को वृहद कोण कहते हैं ।
जैसे – 185
पूर्ण कोण (Complete Angle) –
जिस कोण की माप 360
शून्य कोण (Zero Angle) –
0 की माप वाले कोण को शून्य कोण कहते हैं ।
पूरक कोण (Complementary angle) –
यदि
दो कोणों की मापों का योग 90 हो,
तो वे दोनों कोण परस्पर पूरक कोण कहलाते हैं ।
इसे
अनुपूरक , कोटिपूरक व लंबपूरक कोण भी कहते हैं ।
जैसे
–
60
इसीलिए
60
सूत्र
–
किसी
कोण का पूरक = 90
जैसे
–
40 का पूरक कोण = 90
= 50
संपूरक कोण (Supplementary angle)-
यदि
दो कोणों की मापों का योग 180 हो,
तो वे दोनों कोण परस्पर संपूरक कोण कहलाते हैं ।
इसे
परिपूरक कोण व ऋजुपूरक कोण भी कहते हैं ।
जैसे
–
120
इसीलिए
120
सूत्र - किसी कोण
का संपूरक कोण = 180
135 का पूरक कोण = 180
= 105
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