इकाई 1 - व्यष्टि एवं समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय
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अथवा
अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याओं की विवेचना कीजिए ।
उत्तर - अर्थशास्त्र की केंद्रीय समस्याएँ निम्नानुसार हैं -
(1) किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में,
(2) वस्तुओं का उत्पादन कैसे किया जाए,
(3) वस्तुओं का उत्पादन किसके लिए किया जाए ।
(1) किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में -
अर्थव्यवस्था में प्रत्येक समाज को यह निर्णय करना पड़ता है कि प्रत्येक संभावित वस्तुओं तथा सेवाओं में से किन - किन वस्तुओं और सेवाओं का कितना उत्पादन किया जाए। अधिक खाद्य पदार्थों, वस्तुओं या आवासों का निर्माण किया जाए अथवा विलासिता की वस्तुओं का अधिक उत्पादन किया जाए? कृषि जनित वस्तुओं का अधिक उत्पादन किया जाए अथवा औद्योगिक उत्पादों तथा सेवाओं का? शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर अधिक संसाधनों का उपयोग किया जाए अथवा सैन्य सेवाओं के गठन पर? बुनियादी शिक्षा को बढ़ाने पर अधिक खर्च किया जाए या उच्च शिक्षा पर? उपयोग की वस्तुएं अधिक मात्रा में उत्पादित की जानी चाहिए या फिर निवेशपरक वस्तुएं जैसे मशीन आदि।
(2) वस्तुओं का उत्पादन कैसे किया जाए -
(3) वस्तुओं का उत्पादन किसके लिए किया जाए -
वस्तुओं का उत्पादन किसके लिए किया जाना चाहिए ? यह भी अर्थव्यवस्था की प्रमुख समस्या है। अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं की कितनी मात्रा किसे प्राप्त होगी ? अर्थव्यवस्था के उत्पाद को व्यक्ति विशेष के बीच किस प्रकार विभाजित किया जाना चाहिए ? किसे अधिक मात्रा प्राप्त होगी किसे कम ? इन सभी बातों का ध्यान अर्थव्यवस्था में रखना पड़ता है।
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प्रश्न 12 - परंपरागत रूप से अर्थशास्त्र की विषयवस्तु का अध्ययन किन दो व्यापक शाखाओं के अंतर्गत किया जाता है ?
उत्तर - परंपरागत रूप से अर्थशास्त्र की विषयवस्तु का अध्ययन निम्नलिखित दो व्यापक शाखाओं के अंतर्गत किया जाता है -
(1) व्यष्टि अर्थशास्त्र / सूक्ष्म अर्थशास्त्र / व्यक्तिगत अर्थशास्त्र/ Micro Economics,
(2) समष्टि अर्थशास्त्र / वृहद् अर्थशास्त्र / विस्तृत अर्थशास्त्र / Macro Economics
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प्रश्न 13 - निजी / पूंजीवादी अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं ?
उत्तर - ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व होता है , उसे निजी / पूंजीवादी अर्थव्यवस्था कहा जाता है । इस आर्थिक प्रणाली में एक बड़ा निजी क्षेत्र होता है और व्यवसाय कुछ विशेष लोगों द्वारा ही नियंत्रित होता है । इस प्रणाली में उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करना होता है ।
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प्रश्न 14 - समाजवादी (सार्वजनिक) अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं ?
उत्तर - ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व न होकर सरकार का स्वामित्व होता है, उसे समाजवादी (सार्वजनिक) अर्थव्यवस्था कहते हैं। इस आर्थिक प्रणाली में उत्पादन , वितरण आदि पर सरकार का नियंत्रण होता है । इस प्रणाली में उद्देश्य जनता का अधिकतम कल्याण करना होता है ।
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प्रश्न 15 - मिश्रित अर्थव्यवस्था से क्या आशय है ?
अथवा
भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रकृति कैसी है?
उत्तर - ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें निजी स्वामित्व एवं समाजवादी (सार्वजनिक) स्वामित्व का मिश्रण हो , उसे मिश्रित अर्थव्यवस्था कहा जाता है । भारतीय अर्थव्यवस्था मिश्रित अर्थव्यवस्था है। अर्थात हमारे देश भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया गया है।
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प्रश्न 16 - निजी / पूंजीवादी अर्थव्यवस्था और समाजवादी अर्थव्यवस्था की कोई चार विशेषताएँ / अंतर लिखिए ।
उत्तर -
उत्तर - मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ निम्नानुसार हैं -
1. सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र का सहअस्तित्व- मिश्रित अर्थ-व्यवस्था की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्र विद्यमान रहते हैं। इन दोनों क्षेत्रों के बीच कार्यों का स्पष्ट विभाजन रहता है।
2. लोकतान्त्रिक व्यवस्था- मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रियाएँ लोकतान्त्रिक होती हैं। इनमें नीतियों का निर्धारण जनप्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है।
3. आर्थिक नियोजन- इसमें देश के आर्थिक विकास हेतु आर्थिक नियोजन को अपनाया जाता है। इसके अन्तर्गत सरकार निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों के लिए भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करती है।
4. आर्थिक स्वतन्त्रता- मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक स्वतन्त्रता तो होती है, किन्तु पूँजीवाद की तुलना में कम होती है।
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प्रश्न 18 - आर्थिक समस्याएँ क्यों उत्पन्न होती हैं? समझाइए।
अथवा
आर्थिक समस्या उत्पन्न होने के कोई दो कारण लिखिए ।
उत्तर - आर्थिक समस्या निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न होती हैं -
1. असीमित आवश्यकताएँ तथा इच्छाएँ - मनुष्य की आवश्यकताएँ तथा इच्छाएँ असीमित तथा अनंत हैं। एक आवश्यकता अथवा इच्छा के पूरा होते ही दूसरी आवश्यकता तथा इच्छा उत्पन्न हो जाती है।
2. साधनों की सीमितता तथा दुर्लभता - जब साधनों की मांग , इनकी पूर्ति से अधिक होती है तब भी आर्थिक समस्या उत्पन्न होती है। साधनों की सीमितता अथवा दुर्लभता से आशय है कि इनकी मांग इनकी पूर्ति से अधिक होती है।
3. आवश्यकताओं की प्राथमिकता में अंतर - आवश्यकताएँ प्राथमिकता की दृष्टि से भिन्न भिन्न होती हैं। अतः प्राथमिक आवश्यकताओं वाली वस्तुओं की मांग अधिक होने से उनकी पूर्ति कम हो जाती है।
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प्रश्न 19 - केंद्रीयकृत योजनाबध्द अर्थव्यवस्था एवं बाज़ार अर्थव्यवस्था को समझाइए ।
अथवा
केंद्रीयकृत योजनाबध्द अर्थव्यवस्था एवं बाज़ार अर्थव्यवस्था में अंतर / विशेषताएँ समझाइए ।
उत्तर -
प्रश्न 20 - सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण और आदर्शात्मक आर्थिक विश्लेषण से आप क्या समझते हैं?
अथवा
सकारात्मक अर्थशास्त्र और आदर्शात्मक अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं? दोनों में अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर - सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण -
सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण / सकारात्मक अर्थशास्त्र से आशय उस आर्थिक विश्लेषण से है, जिसमें हम अध्ययन करते हैं कि विभिन्न आर्थिक तंत्र क्या हैं और ये किस प्रकार कार्य करते हैं। अर्थात इस आर्थिक विश्लेषण में 'क्या है?' और 'कैसे है?' का अध्ययन किया जाता है। उदाहरण के लिए, जब हम कहते हैं कि कीमत बढ़ने से मांग कम हो जाती है और कीमत कम होने से माँग बढ़ जाती है तो यह सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण है।
आदर्शात्मक आर्थिक विश्लेषण / आदर्शात्मक अर्थशास्त्र -
आदर्शात्मक आर्थिक विश्लेषण / आदर्शात्मक अर्थशास्त्र से आशय उस आर्थिक विश्लेषण से है, जिसमें हम अध्ययन करते हैं कि विभिन्न आर्थिक तंत्र हमारे अनुकूल हैं या नहीं । इसका संबंध मुख्य रूप से आदर्शों से होता है अर्थात अर्थात इस आर्थिक विश्लेषण में 'क्या होना चाहिए?' का अध्ययन किया जाता है। उदाहरण के लिए जब हम कहते हैं कि शराब की मांग कम करने के लिए उनके ऊपर लगने वाले करों की दरें बढ़ा देना चाहिए, तो यह आदर्शक आर्थिक विश्लेषण है।
सारांश रूप से - सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण / सकारात्मक अर्थशास्त्र में 'क्या है?' और 'कैसे है?' का अध्ययन किया जाता है जबकि आदर्शात्मक आर्थिक विश्लेषण / आदर्शात्मक अर्थशास्त्र में 'क्या होना चाहिए?' का अध्ययन किया जाता है।
- सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण / सकारात्मक अर्थशास्त्र - 'क्या है? का अध्ययन ।
- आदर्शात्मक आर्थिक विश्लेषण / आदर्शात्मक अर्थशास्त्र - 'क्या होना चाहिए?' का अध्ययन।
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