स्नेल का नियम (Snell's Law), जिसे अपवर्तन का नियम भी कहते हैं, प्रकाशिकी में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है।
यह नियम बताता है कि जब प्रकाश की कोई किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है, तो आपतन कोण (angle of incidence) और अपवर्तन कोण (angle of refraction) की ज्याओं (sines) का अनुपात स्थिर रहता है।
🌟 स्नेल का नियम (Snell's Law)
परिभाषा: प्रकाश के किसी निश्चित रंग और निश्चित माध्यमों के युग्म के लिए, आपतन कोण की ज्या (sine of the angle of incidence, $\sin i$) और अपवर्तन कोण की ज्या (sine of the angle of refraction, $\sin r$) का अनुपात एक नियतांक (Constant) होता है।
📐 गणितीय अभिव्यक्ति
इस नियम को निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है:
जहाँ:
$i$ = आपतन कोण (आपतित किरण और अभिलम्ब के बीच का कोण)
$r$ = अपवर्तन कोण (अपवर्तित किरण और अभिलम्ब के बीच का कोण)
$n_{21}$ = नियतांक, जिसे पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक (Refractive Index) कहा जाता है।
✨ एक और रूप (अपवर्तनांक के पदों में)
इसे दो माध्यमों के अपवर्तनांकों ($n_1$ और $n_2$) के रूप में भी लिखा जाता है:
$n_1$ = पहले माध्यम का अपवर्तनांक
$n_2$ = दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक
यह नियम प्रकाश के अपवर्तन की घटना को समझने और प्रकाशीय उपकरणों (जैसे लेंस, प्रिज्म) के डिजाइन में मूलभूत है।
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