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खुली अर्थव्यवस्था - समष्टि अर्थशास्त्र

**भुगतान शेष की संरचना में निम्नलिखित में कौन से खाते सम्मिलित होते हैं - 

चालू खाता

पूंजी खाता 

A और B दोनों 

इनमें से कोई नहीं 


**व्यापार संतुलन का अर्थ होता है -

पूंजी के लेन देन से 

वस्तुओं के आयात व निर्यात से 

कुल क्रेडिट तथा डेबिट से 

सभी से 


**व्यापार क्षेत्र में कौन सी मदें शामिल होती हैं -

अदृश्य मदें 

पूंजी अंतरण 

दृश्य मदें 

इनमें से कोई नहीं 


**प्रतिकूल भुगतान संतुलन में सुधार का उपाय है -

मुद्रा अवमूल्यन 

आयात प्रतिस्थापन 

विनिमय नियंत्रण 

उपरोक्त सभी 


विदेशी विनिमय दर का निर्धारण होता है -

विदेशी करेंसी की मांग द्वारा 

विदेशी करेंसी की पूर्ति द्वारा 

विदेशी विनिमय बाज़ार में मांग एवं पूर्ति द्वारा 

इनमें से कोई नहीं 



विदेशी विनिमय बाज़ार के रूप हैं - 

हाजिर या चालू बाज़ार 

वायदा बाज़ार 

a और b दोनों 

इनमें से कोई नहीं 


भारत का भुगतान संतुलन है -

प्रतिकूल 

अनुकूल 

a और b दोनों 

इनमें से कोई नहीं 



दृश्य मदों के अंतर्गत इनमें से कौन सी मदें शामिल होती हैं -

मशीन 

कपड़ा

सीमेंट 

उपरोक्त सभी 


अदृश्य मदों के अंतर्गत निम्नांकित में से कौन सी मदें शामिल होती हैं - 

मशीन 

कपड़ा

सूचना 

उपरोक्त सभी 


  • व्यापार संतुलन में दृश्य एवं अदृश्य मदों दोनों का समावेश कियाजाता है - सत्य
  • व्यापार संतुलन भुगतान संतुलन का एक अंग है - सत्य
  • अवमूल्यन की घोषणा सरकार द्वारा की जाती है - सत्य
  • भुगतान संतुलन सदैव संतुलित रहता है - सत्य 
  • निर्यात प्रोत्साहन हेतु अवमूल्यन का सहारा लिया जाता है - सत्य 
  • विकासशील देशों में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या का आर्थिक विकास पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है - असत्य
  • भुगतान संतुलन करने का एक उपाय निर्यात प्रोत्साहन भी है - सत्य
  • भुगतान संतुलन की गणना केवल आयातित एवं निर्यातित वस्तुओं के आधार पर की जाती है - असत्य 
  • भारत सदैव चालू खाते में घाटे का सामना कर रहा है - सत्य 
  • चालू खाते में घाटे का अर्थ है - व्यापार एवं अदृश्य मदों से प्राप्त विदेशी मुद्रा का उसके भुगतानों से कम होना - सत्य । 
  • सार्वजनिक व्ययों में कटौती से भुगतान संतुलन की प्रतिकूलता कम होगी - सत्य
  • विनिमय दर के निर्धारण में पूर्ति का महत्वपूर्ण स्थान होता है - असत्य 
  • यदि मांग तथा पूर्ति दोनों एक साथ बढ़ें तथा घटें तो विनिमय दर में परिवर्तन नहीं होता - सत्य 
  • बैंक दर बढ़ने पर विदेशी विनिमय दर देश के पक्ष में हो जाती है - सत्य
  • भुगतान संतुलन सदैव संतुलित रहता है - सत्य 
  • व्यापार संतुलन भुगतान संतुलन का एक अंग है - सत्य 
  • विदेशी विनिमय दर को फोरेक्स दर भी कहते हैं - सत्य  

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** भुगतान संतुलन में सदैव दृश्य एवं अदृश्य मदों को शामिल किया जाता है । 
** व्यापार संतुलन में केवल दृश्य मदों को शामिल किया जाता है । 
** भारत का भुगतान संतुलन सदैव प्रतिकूल रहता है । 
** लोचपूर्ण विनिमय दर का निर्धारण विदेशी विनिमय बाज़ार में मांग व पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित होता है । 
** अवमूल्यन - निर्यात संवृद्धि / देश की मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा में कम करना । 
** चालू खाते की मद हैं - आयात और निर्यात 

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  • नई व्यापार नीति की घोषणा किस सन में की गई ? - 1991
  • भारतीय रुपए का यदि अवमूल्यन होता है तो आयात कैसे हो जाएंगे ? - महंगे हो जाएंगे । 
  • दीर्घकाल में आयात किसका भुगतान करते है - निर्यात का 
  • पूंजी खाते से किस बात का ज्ञान होता है - अंतर्राष्ट्रीय विनियोग व ऋणग्रस्तता का 
  • एक देश की मुद्रा का दूसरे देश की मुद्रा में व्यक्त मूल्य विनिमय दर कहलाता है । 
  • लोचशील विनिमय दर - बाज़ार शक्तियों द्वारा निर्धारित्त विदेशी विनिमय दर कहलाती है । 
  • डॉलर की तुलना में रुपए की दर बढ़ने पर भारतीय आयातकों के लाभ पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा । 
  • अपरिवर्तनशील कागजी मुद्रा की दशा में वेदेशी विदेशी विनिमय दर का निर्धारण किस सिद्धान्त द्वारा द्वारा होता है - क्रय शक्ति समता सिद्धान्त 
  • व्यापार का उद्देश्य होता है - लाभ प्राप्त करना 
  • व्यापार संतुलन में कौन सी मदें शामिल की जाती है - केवल दृश्य मदें । 
  • व्यापार संतुलन किसका अंग माना जाता है - भुगतान संतुलन का अंग माना जाता है । 
  • विनिमय नियंत्रण का क्या उद्देश्य होता है -मुद्रा की विनिमय दर स्थिर रखना । 
  • एक देश की मुद्रा का दूसरे देश की मुद्रा में व्यक्त मूल्य क्या कहलाता है - विनिमय दर 

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**** भुगतान संतुलन में शामिल होते हैं - आयात एवं निर्यात दोनों । 

** निम्नलिखित में से पूंजी खाते की मद कौन सी है - 

a विनियोग आय

b पर्यटन 

c कपास 

d विदेशी दान  

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** चालू खाते की मद हैं - 

a स्वर्ण 

b ऋण  

c ब्याज व लाभांश  

d बैंकिंग 

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वर्तमान समय में एक देश की मुद्रा की विभिन्न देशों की मुद्राओं के बीच विनिमय दर - अलग अलग होगी । 

विनिमय दर का निर्धारण - विदेशी मुद्रा बाज़ार में विदेशी मुद्रा की मांग एवं पूर्ति द्वारा किया जाता है । 

विदेशी विनिमय की प्रक्रिया  देशों के बीच होती है । 

*****भुगतान संतुलन की समस्या / असाम्यता (भुगतान असंतुलन को दूर करने के उपाय) - 

विनिमय नियंत्रण , आयात प्रतिस्थापन ,मुद्रा का अवमूल्यन 

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विदेशी विनिमय की मांग और पूर्ति पर विदेशी मुद्रा का प्रबंध किया जाता है - 

a विदेशी मुद्रा का भंडार निधि से  

b पूंजी बाज़ार से 

c सरकारी कोश से 

d मुद्रा बाज़ार से 

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प्रश्न - एक देश में कीमतों में अत्यधिक वृद्धि हो जाने पर उसके निर्यातों पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

उत्तर - निर्यात कम हो जाएंगे । 

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विनिमय दर दो देशों की मुद्राओं के विनिमय अनुपात को व्यक्त करता है । 

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**** विदेशी विनिमय दर को मुद्रा विनिमय दर भी कहते हैं । 

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हमें अपने प्रतिकूल भुगतान संतुलन को दूर करने के लिए आयातों को कम करना चाहिए । 

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प्रश्न - खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था को समझाईए । 

उत्तर - 

खुली अर्थव्यवस्था - खुली अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है , जिसमें अन्य राष्ट्रों के साथ वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार किया जाता है । इस अर्थव्यवस्था में एक दूसरे देश के साथ व्यापार करने की अनुमति सरकार द्वारा दी जाती है । 

बंद अर्थव्यवस्था - बंद अर्थवयवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसमें एक देश को दूसरे देश के साथ व्यापार करने की अनुमति नहीं रहती । उस देश में व्यापार देश के अंदर ही किया जा सकता है । 
भारत की अर्थव्यवस्था खुली अर्थव्यवस्था है। 

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प्रश्न - बैंक दर में परिवर्तन का विनिमय दर पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

उत्तर - बैंक दर विनिमय दर को प्रभावित करती है । यदि अन्य राष्ट्रों की तुलना में बैंक दर बढ़ती है तो विदेशों से ऊंची ब्याज दर अर्जित करने के लिए अधिक निधियाँ राष्ट्र में प्रवाहित होंगी । इससे घरेलू करेंसी की मांग में वृद्धि होगी और विनिमय दर देश के पक्ष में हो जाएगी । जब बैंक दर गिरेगी तो इसके विपरीत होगा । 

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प्रश्न - भुगतान संतुलन के चालू खाते में शामिल होने वाली मदें बताइए । 

उत्तर - चालू खाता - चालू खाते में वस्तुओं और सेवाओं का आयात - निर्यात एवं एकपक्षीय हस्तांतरण को शामिल किया जाता है । इसमें निम्नलिखित मदें शामिल हैं - 

दृश्य मदें - वस्तुओं का आयात निर्यात । 

अदृश्य मदें - बीमा , परिवहन , पर्यटन , निजी एवं शासकीय हस्तांतरण आय, शासकीय मद , विनियोग आय । 

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प्रश्न - भुगतान संतुलन के पूंजीगत खाते में शामिल होने वाली मदें बताइए । 

उत्तर - इसमें सभी पूंजीगत लेनदेन अर्थात ऋणों की प्राप्तियाँ एवं अदायगियाँ , करेंसी , लदान , स्वर्ण हस्तांतरण आदि को शामिल किया जाता है । 

इसमें निम्नलिखित मदों को शामिल किया जाता है - 

सरकारी ऋण , बैंकिंग पूंजी , सकल ऋण भुगतान , मुद्रा कोश से पुनः ऋण , अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन निजी निवेश । 

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प्रश्न - विनियोग या निवेश से क्या आशय है ?
उत्तर - किसी व्यवसाय में उत्पादन करने के लिए उसमें जो संसाधन लगाए जाते हैं , उन संसाधनों के सम्मिलित मूल्य को ही निवेश कहा जाता है। 
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 प्रश्न - विदेशी विनिमय दर किसे कहते हैं ?
उत्तर - विदेशी विनिमय दर या विनिमय दर वह दर होती है जिस पर एक करेंसी(मुद्रा) का दूसरी करेंसी(मुद्रा) से विनिमय किया जाता है । उदाहरण - डॉलर का मूल्य में जितना होगा , वह डॉलर और रुपए की विनिमय दर कहलाएगी । 
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 प्रश्न - ब्याज दरों में परिवर्तन का विनिमय दर पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर - ब्याज दरों में परिवर्तन से विनिमय दरों में परिवर्तन होते हैं । यदि देश में ब्याज दरें अधिक होती हैं तो विदेशों से पूंजी का अंतरप्रवाह होता है । फलस्वरूप घरेलू करेंसी की विनिमय दर का मूल्य विदेशी करेंसी के सापेक्षिकता में बढ़ेगा । 
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प्रश्न - तात्कालिक विनिमय दर क्या है ?
उत्तर - तात्कालिक विनिमय दर वह दर है जिस पर एक देश की करेंसी का दूसरे देश की करेंसी से वर्तमान अवधि में विनिमय किया जाता है । 
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प्रश्न - निर्यात तथा आयात में परिवर्तन विनिमय दर को किस प्रकार प्रभावित करते हैं ?
उत्तर - निर्यात तथा आयात में होने वाले परिवर्तन विदेशी विनिमय की मांग तथा पूर्ति को प्रभावित करते हैं । यदि किसी देश में निर्यात उसके आयात से अधिक होते हैं , तो उसकी करेंसी की मांग बढ़ जाएगी , परिणामस्वरूप विनिमय की दर उसके अनुकूल हो जाएगी । इसके विपरीत यदि निर्यात से आयात बढ़ जाते हैं तो विदेशी करेंसी की मांग बढ़ जाएगी और विनिमय की दर उसके प्रतिकूल हो जाएगी । 

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प्रश्न - मुद्रा संकुचन क्या है ?

उत्तर - जब मुद्रा का मूल्य बढ़ी6आ है और कीमतें गिरती हैं तब इस स्थिति को मुद्रा संकुचन कहा जाता है 

महत्वपूर्ण प्रश्न - 

प्रश्न - **** व्यापार संतुलन और भुगतान संतुलन क्या है ? समझाईए । 

प्रश्न - व्यापार संतुलन और भुगतान संतुलन के महत्व को समझाइए । 

प्रश्न - ***** व्यापार संतुलन और भुगतान संतुलन में अंतर समझाईए । 

प्रश्न - *** भुगतान संतुलन की प्रमुख मदों / घटकों को समझाईए । 

प्रश्न - **** विदेशी विनिमय दर को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए । 

प्रश्न - ***** भुगतान संतुलन में असाम्यता (भुगतान असंतुलन) को दूर करने के मौद्रिक व अमौद्रिक उपायों का वर्णन कीजिए । अथवा भारत में भुगतान संतुलन में असाम्यता (भुगतान असंतुलन) को दूर करने के मौद्रिक व अमौद्रिक उपायों का वर्णन कीजिए ।

प्रश्न - ** पूंजी खाते में शामिल मदों को समझाईए । 

प्रश्न - **** अवमूल्यन और मूल्य ह्रास को समझाते हुए अंतर स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर - अवमूल्यन - विनमय प्रणाली में जब सरकार के द्वारा विनिमय दर में वृद्धि की जाती है तो इसे मुद्रा का अवमूल्यन कहा जाता है । अवमूल्यन तब होता है जब देश स्थिर विनिमय प्रणाली को ग्रहण करता है । 

मूल्यह्रास - बाज़ार मांग एवं पूर्ति शक्तियों के प्रभाव से बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के देश की मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है , तो इसे मूल्यह्रास कहा जाता है । 

मूल्यह्रास तब होता है जब देश नम्य विमिमय दर प्रणाली अथवा तिरती विनिमय दर प्रणाली को ग्रहण करता है । 

प्रश्न - **** भुगतान संतुलन की प्रतिकूलता के क्या कारण हैं ?

उत्तर - भुगतान संतुलन की प्रतिकूलता के निमांकित कारण हैं - 

1- पेट्रोलियम पदार्थों के आयातों में वृद्धि -  तेल उत्पादक देश अपने अपने पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य प्रतिवर्ष बढ़ते रहे हैं । साथ ही साथ देश में पेट्रोलियम पदार्थों की खपत भी बढ़ी है जिससे इनका आयात भीकरना पड़ता है । 

2 - मशीनों के आयातों में वृद्धि - आर्थिक नियोजन के कारण देश में औद्योगीकरण व कृषि विकास की गति तीव्र हुई है । इस कारण मशीनों का भारी मात्रा में आयात करना पड़ता है । 

3 - आशा के अनुरूप निर्यातों में वृद्धि न होना - भारत में भुगतान संतुलन के प्रतिकूल होने का एक कारण निर्यातों का आशानुरूप न बढ़ना है । 

4 - खाद्यान्नों का आयात - देश को मानसून की असफलता तथा सूखे की स्थिति से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर खाद्यान्नों का आयात करना पड़ता है । देश के भुगतान संतुलन का यह भी एक प्रमुख कारण है । 

5 - विदेशी ऋण एवं निवेश - भारत ने विकास कार्यों के लिए भारी मात्रा में ऋण लिए हैं । जिसके मूलधन व ब्याज वापसी के लिए विदेशी विनिमय करना पड़ता है । यह भी भुगतान असंतुलन का प्रमुख कारण है ।  

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