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शिक्षण शास्त्र के महत्वपूर्ण बिंदु

शिक्षण शास्त्र के महत्वपूर्ण बिंदु -

* जब बच्चा फेल होता है तो इसका तात्पर्य है कि- शिक्षण व्यवस्था में कमी है तथा इसमें सुधार की आवश्यकता है।
* नैतिक मुद्दों पर आधारित चर्चाओं पर जोर देने वाले विद्वान है - कोहलवर्ग
* एक शिक्षिका अपने शिक्षण में दृश्य-श्रव्य सामग्रियों का प्रयोग करती है क्योंकि - इससे इन्द्रियों का अधिकतम उपयोग सीखने को बढ़ावा देता है।
* यदि विद्यार्थी पाठ में रूचि न ले रहा हो तब शिक्षक को चाहिए कि वह  अपने शिक्षण विधि में बदलाव लाये।
* मनोसामाजिक विकास के सिद्धांत के प्रवर्तक माने जाते है - इरीक्सन
* 130 से अधिक बुद्धिलब्धि वाले व्यक्ति को प्रतिभाशाली माना जाता है जबकि 91 से 110 बुद्धिलब्धि वाले व्यक्ति को सामान्य श्रेणी का माना जाता है।
* कल्पना जितनी अधिक होगी, सूझ की क्षमता का विकास भी उतना अधिक होगा - यह कथन प्रसिद्ध जर्मन मनोवैज्ञानिक कोहलर का माना जाता है।
बच्चों को समूह कार्य देना एक प्रभावी शिक्षण विधि है क्योंकि इससे सीखने की प्रक्रिया में बच्चे एक दूसरे से सीखते है एवं परस्पर सहायता करते है।
* व्यवहारवाद के प्रवर्तक वाट्सन है जबकि मनोविश्लेषणवाद के फ्रायड है।
* मानवतावादी मनोविज्ञान का जनक- अब्राहम मैसलो को माना जाता है।
सीखने के तत्परता नियम, प्रयास एवं त्रुटि, प्रभाव के नियम को थार्नडाइक ने दिया। थार्नडाइक ने अपने इस प्रयोग के लिए भूखी बिल्ली पर प्रयोग किया।
शिक्षण विधि में पालन किया जाता है ज्ञात से अज्ञात की ओर, स्थूल में सूक्ष्म की ओर, विशेष से सामान्य की ओर, विश्लेषण से संश्लेषण, प्रत्यक्ष से अप्रत्यक्ष की ओर, सुगम से कठिन की ओर।
* सभी के लिए विद्यालय में सभी की शिक्षा 'समावेशी शिक्षा पद्धति' को दर्शाती है।"
* मिड-डे मील योजना का उद्देश्य है-बच्चों को विद्यालय जाने हेतु प्रेरित करना।
* किसी कक्षा में शिक्षण होना चाहिए व्यक्तिगत विभिन्नता को ध्यान में रखकर ।
* मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला ( सर्वप्रथम जर्मनी में) W-वुण्ट द्वारा स्थापित की गयी।
* प्रोजेक्ट प्रणाली का विकास किल पैट्रिक ने किया जबकि किण्डरगार्टन का फ्रॉवेल ने तथा बुनियादी शिक्षा प्रणाली का विकास महात्मा गांधी द्वारा किया गया।
* शिक्षा के संदर्भ में समाजीकरण का तात्पर्य है सामाजिक वातावरण में अनुकूलन एवं समायोजन की पद्धति का विकास।
* एडोलसेंस जी. एस. हॉल की पुस्तक, जिसमें किशोरावस्था को एक नया जन्म, संघर्ष तनाव एवं विरोध की अवस्था कहा गया है।
* असंगठित घर से आने वाला बच्चा सबसे अधिक कठिनाई का अनुभव करेगा- स्वतंत्र अध्ययन में 
* मूल प्रवृत्तियाँ होती है-जन्मजात 
* सृजनात्मक बच्चों का मूल गुण है वह मौलिक चिंतन करने में रूचि रखते है। 
* प्रतिभाशाली विद्यार्थी अपनी क्षमताओं को विकसित तभी कर पायेंगे जब वे अन्य विद्यार्थियों के साथ अधिगम प्रक्रिया से जुड़ेगे।

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