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भक्ति धारा

 भक्ति धारा अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पद में मीठे फल का आनन्द लेने वाला कौन है?
उत्तर:
पद में मीठे फल का आनन्द लेने वाला गूंगा है।

प्रश्न 2.
अवगुणों पर ध्यान न देने के लिए सूरदास ने किससे प्रार्थना की है?
उत्तर:
अवगुणों पर ध्यान न देने के लिए सूरदास ने प्रभु श्रीकृष्ण से प्रार्थना की है।

प्रश्न 3.
पारस में कौन-सा गुण पाया जाता है?
उत्तर:
पारस एक प्रकार का पत्थर होता है जिसमें यह गुण पाया जाता है कि इसके स्पर्श से लोहा सोना हो जाता है।

प्रश्न 4.
जायसी के अनुसार संसार की सृष्टि किसने की है?
उत्तर:
जायसी के अनुसार संसार की सृष्टि आदि कर्तार (भगवान) ने की है।

प्रश्न 5.
ईश्वर ने रोगों को दूर करने के लिए मनुष्य को क्या दिया?
उत्तर:
ईश्वर ने रोगों को दूर करने के लिए मनुष्य को औषधियाँ प्रदान की हैं।

प्रश्न 6.
‘स्तुति खंड’ में जायसी ने कितने द्वीपों और भुवनों की चर्चा की है?
उत्तर:
स्तुति खंड में जायसी ने सात द्वीपों और चौदह भुवनों की चर्चा की है।

प्रश्न 7.
जायसी ने कथा किसका स्मरण करते हुए लिखी है?
उत्तर:
जायसी ने आदि एक कर्त्तार (भगवान) का स्मरण करते हुए कथा लिखी है जिसने जायसी को जीवन दिया और संसार का निर्माण किया।

भक्ति धारा लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सूरदास ने निर्गुण की अपेक्षा सगुण को श्रेयस्कर क्यों माना है?
उत्तर:
सूरदास ने निर्गुण की अपेक्षा सगुण को श्रेयस्कर इसलिए माना है कि निर्गुण तो रूप रेख गुन जाति से रहित होता है अतः उसका कोई आधार नहीं होता है जबकि सगुण का आधार होता है।

प्रश्न 2.
गूंगा, फल के स्वाद का अनुभव किस तरह करता है?
उत्तर:
गूंगा व्यक्ति फल का स्वाद अन्दर ही अन्दर अनुभव करता है वह उसे किसी को बता नहीं सकता है।

प्रश्न 3.
कुब्जा कौन थी? उसका उद्धार कैसे हुआ?
उत्तर:
कुब्जा कंस की नौकरानी थी। उसका काम कंस को नित्य माथे पर चन्दन लगाना होता था। जब कृष्ण मथुरा में। पहुँचे तो सबसे पहले उनसे कुब्जा का ही सामना हुआ। भगवान। कृष्ण ने कुब्जा के कुब्ब पर हाथ रखा, तो वह अनुपम सुन्दरी बनकर उद्धार पा गई।

प्रश्न 4.
सूरदास ने स्वयं को ‘कुटिल खल कामी’ क्यों कहा है?
उत्तर:
सूरदास ने स्वयं को कुटिल, खल और कामी इसलिए कहा है कि जिसने उसे जीवन दिया उसी भगवान को वह भूल गया और काम वासनाओं में डूब गया।

प्रश्न 5.
जायसी के अनुसार परमात्मा ने किस-किस तरह के मनुष्य बनाए हैं?
उत्तर:
जायसी के अनुसार परमात्मा ने साधारण मनुष्य। बनाये तथा उनकी बढ़ाई की, उनके लिए अन्न एवं भोजन का प्रबन्ध किया। उसने राजा लोगों को बनाया एवं उनके भोग-विलास की व्यवस्था की तथा उनकी शोभा बढ़ाने के लिए हाथी, घोड़े आदि प्रदान किए। उसने किसी को ठाकुर तथा किसी को दास। बनाया। कोई भिखारी बनाया तो कोई धनी बनाया।

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