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कवियों एवं लेखकों का साहित्यिक परिचय ऐसे लिखा जाना चाहिए

लेखकों का साहित्यिक परिचय –

ध्यान रखने योग्य बात - यहाँ लिखित भाषा, शैली एवं साहित्य में स्थान को छात्र पाठ्यक्रम अंतर्गत सभी लेखकों के साहित्यिक परिचय में लिख सकते हैं। ऐसा करने छात्रों को लेखकों के लिए अलग – अलग भाषा, शैली एवं साहित्य में स्थान को याद करने की आवश्यकता नहीं रहेगी ।  जिस लेखक का साहित्यिक परिचय परीक्षा में पूछा जाता है, उसकी दो रचनाएँ निम्नांकित सारणी से लेकर भाषा,शैली एवं साहित्य में स्थान निम्नानुसार लिखा जाना चाहिए ।

लेखक का नाम

दो रचनाएँ

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

भाषा -

आपने रचनाओं के अनुकूल भाषा का प्रयोग किया है। आपकी भाषा बोधगम्य, रुचिकर एवं प्रवाहमय है। वाक्य विन्यास अत्यंत सुगठित है। आपने भाषा को गतिशील और प्रभावी बनाने के लिए मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग किया है। भाषा में सजीवता के दर्शन होते हैं।

शैली -

आप श्रेष्ठ काव्य के शिल्पकार हैं। विषय प्रतिपादन की दृष्टि से आपने विचारात्मक, भावात्मक और वर्णनात्मक शैली को अपनाया है। अन्य शब्दों में कहें, तो आपकी रचनाओं में शैली के विविध रूप दिखाई पड़ते हैं। आपके कथनों की स्वाभाविकता पाठकों पर स्थायी प्रभाव छोड़ती है।

साहित्य में स्थान -

आपने समाज, राष्ट्र और मानव के उत्थान के लिए जो साहित्य सृजन किया, वह अत्यंत प्रभावी है। आपका

साहित्य हिन्दी साहित्य की अमूल्य धरोहर है। आपकी रचनाओं में आपके हृदय का विस्तृत रूप दिखाई

पड़ता है। आपका हिन्दी साहित्य जगत में महत्वपूर्ण स्थान है ।

कवियों का साहित्यिक परिचय –

ध्यान रखने योग्य बात - यहाँ लिखित भाव पक्ष, कला पक्ष एवं साहित्य में स्थान को छात्र पाठ्यक्रम अंतर्गत सभी कवियों के साहित्यिक परिचय में लिख सकते हैं। ऐसा करने छात्रों को कवियों के लिए अलग – अलग भाव पक्ष, कला पक्ष एवं साहित्य में स्थान को याद करने की आवश्यकता नहीं रहेगी। जिस कवि का साहित्यिक परिचय परीक्षा में पूछा जाता है, उसकी दो रचनाएँ निम्नांकित सारणी से लेकर भाव पक्ष, कलापक्ष एवं साहित्य में स्थान निम्नानुसार लिखा जाना चाहिए ।

कवि का नाम

दो रचनाएँ

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 






भाव पक्ष -

आपका काव्य अनुभूति प्रधान है। आपने सामाजिक परिस्थियों पर लेखनी चलाकर भावाभिव्यक्ति की है। आपने भाव प्रधान विषयों पर लेखनी चलाकर काव्य को गति प्रदान की है। आपने संवेदनशील सहज काव्य का सृजन किया है। आपके जीवन में लोकजीवन की सहज अनुभूति की अभिव्यक्ति हुई है।

कला पक्ष -

आपका कलापक्ष, भावपक्ष की अपेक्षा अधिक प्रौढ़ है। आपके काव्य की भाषा उच्च कोटि की है। भाषा में भावों का उन्मेष हुआ है। उसमें एकरसता विद्यमान है। आपके काव्य में अलंकारों का अच्छा संयोजन देखने को मिलता है।

साहित्य में स्थान -

हिन्दी साहित्य जगत में आपका अनुपम स्थान है। भारतीयता से परपूर्ण साहित्य का सृजन करके आपने समाज का मार्गदर्शन किया है। चिन्मोहक साहित्य के सृजन के लिए आप सदैव स्मरणीय रहेंगे ।



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