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महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर -


महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर

क्रमांक

महाकाव्य

खंडकाव्य

1

इस काव्य में जीवन के समग्र रूप का विवरण प्रस्तुत किया जाता है । इसमें कोई इतिहास – पुराण प्रसिद्ध कथावस्तु होती है ।

इस काव्य में जीवन के एक पक्ष या रूप का पूर्णता के साथ विवरण प्रस्तुत किया जाता है । खण्ड काव्यशब्द से ही स्पष्ट होता है कि इसमें मानव जीवन की किसी एक ही घटना की प्रधानता रहती है ।

2

महाकाव्य की कथावस्तु सर्गबद्ध होती है तथा ये सर्ग एक सूत्र में बंधे होते हैं। महाकाव्य में कम से कम 8 सर्ग होते हैं। जैसे – रामचरितमानस में कांड और महाभारत में पर्व

यह जीवन का न तो खंडित चित्र होता है न ही महाकाव्य का कोई भाग। यह अपने आप में पूर्ण रचना होती है ।

 

3

इसमें अनेक रसों और छंदों का प्रयोग होता है ।

इसमें महाकाव्य की अपेक्षा कम सामान्यता एक ही छंद का प्रयोग होता है ।

 

4

महाकाव्य की समाप्ति शीघ्र नहीं होती ।

इसका कथानक कहानी की भाँति शीघ्रतापूर्वक अन्त की ओर जाता है।

 

उदाहरण

रामचरितमानस – तुलसीदास जी,

महाभारत – वेदव्यास जी,

साकेत – मैथिलीशरण गुप्त जी,

कामायनी – जयशंकर प्रसाद जी,

कुरुक्षेत्र – रामधारी सिंह दिनकर जी ,

पद्मावत – मलिक मुहम्मद जायसी जी ,

उर्वशी – रामधारी सिंह दिनकर जी ,

प्रियप्रवास–अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध

 

पंचवटी – मैथिलीशरण गुप्त जी,

जयद्रथ वध – मैथिलीशरण गुप्त जी,

सुदामाचरित – नरोत्तम दास जी ।

हल्दीघाटी – श्यामनारायण पाण्डेय

 

 

 

 

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