निबंध
विषय - “विज्ञान के चमत्कार”
प्रस्तावना
विज्ञान क्या है ?
विज्ञान वरदान के रूप में -
विद्युत के क्षेत्र में
यातायात के क्षेत्र में
कृषि क्षेत्र में
स्वास्थ्य के क्षेत्र में
चिकित्सा के क्षेत्र में
शिक्षा के क्षेत्र में
विज्ञान अभिशाप के रूप में
विज्ञान का विवेकपूर्ण प्रयोग
उपसंहार
“सुलभ ज़िंदगी है विज्ञान, सुविधादाता है विज्ञान।
जीवन को यह सरल बनाता, पुलकित करता है विज्ञान ॥
अन्तरिक्ष की सैर कराता, चांद में ले जाये विज्ञान ।
गृह तारों के राज बताता, सम्भवता कहता विज्ञान ॥”
-
शक्ति पटेल द्वारा लिखित
विज्ञान कविता का एक अंश
प्रस्तावना -
आज का युग पूरी तरह से वैज्ञानिक हो चुका है अर्थात आज हम
विज्ञान के युग मे जी रहे हैं और इसके बिना मानव के अस्तित्व की कल्पना करना असंभव
प्रतीत होता है। आकाश में पक्षी की भाँति उड़ना, जल
में मछली की भाँति तैरना, स्थल में अश्व की गति से चलना
किसने सिखाया? विज्ञान ने । विज्ञान ने भूखे को रोटी,
निर्धन को धन, दुर्बल को बल, दुखी को प्रसन्नता प्रदान किया है। आज का युग हमारी कल्पना से भी तीव्र हो
चुका है। सच में विज्ञान ने हमारे जीवन पर अभूतपूर्व प्रकाश डाला है। आज मानव का
जीवन आनंदमय और सुख से बीत रहा है । सिर्फ विज्ञान के कारण ही ये सब कुछ संभव हो
पाया है।
विज्ञान क्या है?
मन में एक प्रश्न आता है , कि
विज्ञान आखिर क्या है ? विज्ञान शब्द दो अन्य शब्दों से
मिलकर बना है – वि + ज्ञान । ‘वि’
का आशय है - 'विशेष' और ‘ज्ञान' का आशय है - 'सुव्यवस्थित
जानकारी' । अर्थात विज्ञान का आशय हुआ - “किसी विषय वस्तु के बारे में सुव्यवस्थित जानकारी।“ जब
मनुष्य किसी वस्तु या घटना के बारे में सुव्यवस्थित तथा क्रमबद्धता से ज्ञान
प्राप्त करता है, तब उसे हम विज्ञान कहते हैं ।
विज्ञान वरदान के रूप
में -
विज्ञान के वरदान से तात्पर्य उन अविष्कारों या वरदानों से है, जिसके कारण मानव का जीवन आज चमत्कृत तथा समृद्ध हो उठा है। विज्ञान ने मानव के खान - पान, रहन - सहन पर अभूतपूर्व प्रकाश डाला है। सच में विज्ञान मानव के लिए वरदान है। आइये आज हम विज्ञान के उन चमत्कारों या अविष्कारों पर दृष्टि डालें, जिनसे मानव का जीवन आज चमकृत तथा समृद्ध हो गया है।
विद्युत के क्षेत्र में -
विद्युत का आविष्कार मानव के लिए वरदान साबित हुआ है। आज
मानव के अधिकतर कार्य विद्युत के द्वारा किए जा रहे हैं। विद्युत विज्ञान का ऐसा
अविष्कार है जो जीवन को प्रकाश से भर रहा है। यह रसोईघर से लेकर कारखानों तक हमारी
सेवा में निरंतर है। आज के इस युग मे विद्युत के बिना मानव का जीवन व्यर्थ की तरह
लगता है।
आज हवाई जहाज, ट्रेन,
रॉकेट, कार, मोटरसाइकिल
आदि ऐसे साधन हैं, जिनसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचना
संभव है। इनसे धरती की दूरी सिमट गई है तथा दुनिया अत्यंत गतिशील हो उठी है।
भारत एक कृषि प्रधान देश
है। इसीलिए यहाँ पर कृषि को विशेष महत्व दिया जाता है। पहले खेती वैज्ञानिक तरीके
से नहीं की जाती थी, जिस कारण गरीब किसान
परिवार गरीब ही रह जाता था । उसकी इस खेती से पैदावार बहुत ही कम होती थी, जिससे उसकी मेहनत बेकार चली जाती थी तथा उसे धन भी बहुत ही कम प्राप्त
होता था। आज भारत समेत अन्य सभी देशों में जहां खेती की जाती है वहां आज वैज्ञानिक
तरीके से खेती की जा रही है। इससे निर्धन परिवार को किसान द्वारा लगाई गई लागत से
भी अधिक का लाभ हो रहा है। वर्तमान में ट्रेक्टर, हार्वेस्टर
आदि उपकरणों की सहायता से कृषि आसानी से व कम समय मे की जा रही है।
आज मानव ने अधिकतर बीमारियों और रोगों पर विजय प्राप्त कर लिया गया है । बड़ी से बड़ी बीमारी का पता असानी से लगाकर उसका उपचार विज्ञान के उपकरणों और दवाइयों की सहायता से संभव हो पाया है।
विज्ञान अभिशाप के रूप में -
जहाँ विज्ञान ने मानव जीवन को इतना सर्वसुविधायुक्त और सम्पन्न बनाया है, वहीं उसके जीवन में अनेक समस्याएँ भी इससे उत्पन्न हो गई हैं। विज्ञान ने मानव जीवन को जोखिम और खतरों से पूर्ण कर दिया है। आए दिन समाचारों में सड़क दुर्घटनाओं के समाचार हमें पढ़ने और सुनने को मिलते हैं। दूरसंचार के साधनों से रेडिएशन का खतरा पैदा हो गया है। और भी अन्य तथ्य हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं, कि विज्ञान से मानव जीवन में अनेक समस्याएँ भी मिली हैं।
विज्ञान का विवेकपूर्ण
प्रयोग -
जिस प्रकार किसी सिक्के के दो पहलू होते हैं,
उसी प्रकार विज्ञान के भी दो पहलू या पक्ष हैं - पहला पक्ष लाभ और
दूसरा पक्ष हानि। हमें दोनों पक्षों को ध्यान में रखकर इसका उपयोग करना होगा। हमें
विज्ञान से हमारे जीवन को सुविधायुक्त बनाते समय इससे होने वाली हानियों को भी
ध्यान में रहना होगा, तभी हम विज्ञान से लाभ प्राप्त कर
पाएंगे।
उपसंहार -
समग्र रूप से हम कह सकते हैं, कि आज समस्त मानव जाति का कल्याण हो रहा है। आज के युग मे ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जिसे विज्ञान ने प्रभावित न किया हो। आज समस्त मानव जाति का जीवन इस तीव्र गतिमान समय मे आसानी से बीत रहा है। यदि इसका दुरुपयोग किया गया तो समस्त मानव जाति का विनाश होने में तनिक भी देर नहीं लगेगी । अतः हमें विज्ञान का विवेकपूर्ण प्रयोग करना होगा ।
समुचित भोग ना हो इसका तो अति घातक भी है विज्ञान ॥”
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