यह छवि प्रारंभिक इलेक्ट्रॉनिकी (Preliminary Electronics) से संबंधित एक पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 90 को दर्शाती है, जिसमें स्व-अभिनति परिपथ (Self-biasing circuit) की कार्यप्रणाली और सूत्रों का वर्णन है।
यहाँ छवि का परिवर्तित पाठ दिया गया है:
90। प्रारंभिक इलेक्ट्रॉनिकी
अतः, यह परिपथ अधिक अभिनति में नहीं है। इस परिपथ में दो बैटरियों का उपयोग होता है।
अतः, मूल्य को कम करने के लिए एक बैटरी से भी कार्य चलाया जा सकता है जिसका संशोधित परिपथ चित्र 5.10 में दर्शाया गया है।
5.6.1.3 स्व-अभिनति परिपथ (Self biasing circuit)
स्थिर-अभिनति परिपथ में कुछ परिवर्तन करके स्व-अभिनति परिपथ का निर्माण किया गया है। इस परिपथ में को संग्राहक के साथ संयोजित किया गया है। स्व-अभिनति परिपथ के निविष्ट परिपथ के लिए किरचॉफ का द्वितीय नियम (Kirchhoff’s Second Law) लगाने पर:
या
या
परन्तु निर्गत परिपथ के लिए:
या
चूँकि , से बहुत कम है अतः को नगण्य मानने पर:
समीकरण (1) में रखने पर:
इस परिपथ में ट्रांजिस्टर संधि पर ताप के बढ़ने से में धारण धारा बढ़ती है जिससे का मान बढ़ाया जा सकता है।
फिर का मान बढ़ता है। परन्तु समीकरण (2) के अनुसार के मान के बढ़ने से का मान बढ़ेगा जिससे का मान घट जाता है। के मान के घटने से घट जाता है तथा भी घट जाता है अर्थात् इस परिपथ में तापक्रम बढ़ने से का मान बढ़ता नहीं है बल्कि स्वयं ही कम होकर तापक्रम को नियंत्रित करता है। अब यदि स्व अभिनति परिपथ में ट्रांजिस्टर का बदल जाता है तो ट्रांजिस्टर का मान बदल जाता है जिससे का मान बढ़ जाता है फिर घट जाता है जिससे घट जाता है। अन्त में का मान भी घट जाता है अर्थात्
आरेख (Diagram)
(ट्रांजिस्टर अभिनति परिपथ दिखाया गया है)
ऊपर: स्रोत
संग्राहक (Collector) से जुड़ा है।
आधार (Base) से जुड़ा है, जो के बाद से जुड़ा है।
उत्सर्जक (Emitter) ग्राउंडेड है।
संग्राहक धारा, आधार धारा, प्रवाहित धारा।
संग्राहक-उत्सर्जक वोल्टता।
आधार-उत्सर्जक वोल्टता।
संतुलन (Balance)
तापक्रम बढ़ने पर (Temperature ):
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