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राजभाषा और राष्ट्रभाषा

राजभाषा और राष्ट्रभाषा -

राजभाषा (Official Language) - वह भाषा जिसका उपयोग सरकार अपने सभी आधिकारिक और प्रशासनिक कार्यों के लिए करती है, राजभाषा कहलाती है। इसका उपयोग केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच संचार में, अदालतों में और संसद के कामकाज के लिए किया जाता है। यह देश के संविधान द्वारा कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त होती है।

राजभाषा की विशेषताएँ -

  1. सरकारी कामकाज की भाषा - सका उपयोग सरकार द्वारा आधिकारिक और प्राशासनिक कार्यों के लिए किया जाता है।
  2. संवैधानिक मान्यता - इसे संविधान द्वारा आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है। भारत में, अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को संघ की राजभाषा का दर्जा दिया गया है।
  3. व्याकरणसम्मत - राजभाषा व्याकरणसम्मत होती है अर्थात यह निश्चित नियमों से बंधी होती है। इसका दायरा सीमित होता है।
  4. सरकार द्वारा अधिनियमित - राजभाषा को सरकार द्वारा अधिनियमित किया जाता है।

राष्ट्रभाषा (National Language) - वह भाषा जो पूरे देश के लोगों द्वारा सबसे अधिक बोली और समझी जाती है, राष्ट्रभाषा कहलाती है। यह उस राष्ट्र की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का प्रतिनिधित्व करती है। यह आवश्यक नहीं है कि इसे संवैधानिक रूप से आधिकारिक दर्जा प्राप्त हो, बल्कि यह लोगों के बीच आपसी जुड़ाव और एकता को बढ़ावा देती है।

राष्ट्रभाषा की विशेषताएँ -

  1. जनता की भाषा- यह देश के बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोली और समझी जाने वाली भाषा होती है।
  2. राष्ट्रीय एकता का प्रतीक - यह राष्ट्र की सांस्कृतिक एकता और पहचान का प्रतीक होती है।
  3. व्यापक उपयोग - इसका उपयोग पूरे देश में संचार और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के लिए होता है।
  4. स्वाभाविक विकास - राष्ट्रभाषा स्वाभाविक रूप से विकसित होती है।

राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर -

महत्वपूर्ण तथ्य -

  • भारत में कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। भारत का संविधान किसी भी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं देता है, क्योंकि देश में कई भाषाएँ बोली जाती हैं।
  • हिंदी एक ऐसी भाषा है जो देश के एक बड़े हिस्से में बोली और समझी जाती है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार हिन्दी को भारत की राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है।

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