शब्द शक्ति -
परिभाषा -
शब्दों में अंतर्निहित अर्थ को बोध कराने वाली शक्ति, शब्द शक्ति कहलाती है। दूसरे शब्दों में शब्दों के विभिन्न अर्थ बताने वाले व्यापर या साधन को शब्द शक्ति कहते हैं । किसी सार्थक शब्द के तीन अर्थ निकलते हैं - वाच्यार्थ , लक्ष्यार्थ और व्यंग्यार्थ ।
शब्द शक्ति के तीन प्रकार हैं - 1. अभिधा 2. लक्षणा 3. व्यंजना
अभिधा शब्द शक्ति - जिस शब्द शक्ति द्वारा किसी शब्द का सीधा एवं प्रचलित अर्थ व्यक्ति हो, उसे अभिधा शब्द शक्ति कहते हैं। इस अर्थ को वाच्यार्थ भी कहा जाता है ।
उदाहरण -
लक्षणा शब्द शक्ति - जब किसी शब्द का सीधा या प्रचलित अर्थ व्यक्त न होकर कोई अन्य लाक्षणिक अर्थ व्यक्त होता है, तो वहाँ लक्षणा शक्ति की अभिव्यंजना होती है। इस शब्द शक्ति में वाच्यार्थ या मुख्यार्थ अर्थ न होकर लक्ष्यार्थ (लक्षण प्रकट करने वाला अर्थ) होता है।
व्यंजना शब्द शक्ति - जब किसी शब्द के अनेक या विशिष्ट अर्थ निकलते हों या व्यंजित होते हों, वहाँ व्यंजना शब्द शक्ति होती है। इसमें शब्द का व्यंग्यार्थ लिया जाता है। यह व्यंजना दो प्रकार की होती है - शाब्दी व्यंजना और आर्थी व्यंजना ।
उदाहरण -
1. मोहन! , संध्या हो गई। 2. इंदौर मध्यप्रदेश का मुंबई है। 3. सरदार पटेल लौहपुरुष थे ।लेखक - शक्ति पटेल (राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक)
- B.A.(1st Rank in University, 4 Gold Medalist), M.A.(Sociology, Economics, Psychology, Education, Hindi), M.S.W., B.Ed., P.G.D.C.A., C.H.R., Diploma in Tribal Development (First Rank in University), P.G.D.R.D. (Enrolled), UGC-NET/JRF (Sociology), UGC-NET/Lectureship (Social Work)
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