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निपात शब्द

निपात (Particle) की परिभाषा -

किसी भी बात पर अतिरिक्त भार/ ज़ोर देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें निपात कहते हैं। निपात ऐसा सहायक शब्द भेद है जिसमें वे शब्द आते हैं जिनके प्रायः अपने वस्तुपरक अर्थ नहीं होते हैं।'' यथा- तक, मत, क्या, हाँ, भी, केवल, जी, नहीं, न, काश, नहीं, न, काश, मात्र, तो आदि
उदाहरण-
  • तुम्हें पढ़ाई करना ही पड़ेगा।
  • मोहन ने तो हद कर दी।
  • मेरे साथ रमेश भी भोपाल जाएगा
  • हमारे देश को प्रधानमंत्री को विदेश के बच्चे तक जानते हैं ।
  • धन कमा लेने मात्र से जीवन सफल नहीं हो जाता।
अन्य शब्द और निपात में यह अन्तर है कि अन्य शब्द भेदों यथा संज्ञा, विशेषण, सर्वनाम, क्रिया-विशेषण आदि का अपना अर्थ होता है किन्तु निपातों का अपना अर्थ नहीं होता। निपातों kaवाक्य को अतिरिक्त भावार्थ प्रदान करने के लिए किसी शब्द या पूरे वाक्य में होता है।

निपातों के प्रमुख कार्य -

वाक्य में निपातों के प्रयोग से उस वाक्य का अर्थ प्रभावित होता है। निपात वाक्य में निम्नलिखित कार्य करते हैं -

  • शब्द या वाक्य पर बल देना - निपात का सबसे महत्वपूर्ण कार्य किसी विशेष शब्द या पूरे वाक्य पर अतिरिक्त बल देना है, जिससे वह बात अधिक प्रभावशाली हो जाती है।

उदाहरण - तुम्हें आज स्कूल जाना ही पड़ेगा। (यहाँ 'ही' से रुकने की क्रिया पर बल दिया जा रहा है।)

  • भाव या अर्थ को स्पष्ट करना - निपात शब्दों का प्रयोग वाक्य के भाव को स्पष्ट करने एवं उसे अतिरोक्त अर्थ प्रदान करने के लिए भी किया जाता है।

उदाहरण - रमेश भी कल भोपाल जायेगा । (यहाँ 'भी' के [रायोग से यह स्पष्ट हो रहा है कि कोई और व्यक्ति अर्थात रमेश भी भोपाल जा रहा है।)

  • विस्मय, प्रश्न, या स्वीकृति आदि व्यक्त करना -

कुछ निपात शब्दों का प्रयोग विस्मयादिबोधक, प्रश्नवाचक या स्वीकारात्मक भाव को प्रकट करने के लिए किया जाता है।

उदाहरण: कितना सुन्दर लड़का है!। (यह विस्मय प्रदर्शित कर रहा है।)

उदाहरण - वह घर पर नहीं है। (यह अस्वीकृति दर्शा रहा है।)

  • सीमा बताना - 'तक', 'भर', 'केवल', 'मात्र' जैसे निपात शब्दों के प्रयोग से किसी बात की सीमा को व्यक्त किया जाता है।

उदाहरण - मैंने उसे देखा तक नहीं। (यहाँ 'तक' देखने क्रिया की सीमा व्यक्त कर रहा है।)

  • आदर या स्वीकारोक्ति दर्शाना - 'जी', 'हाँ', 'न' जैसे निपात शब्दों का प्रयोग आदरसूचक स्वीकारोक्ति या सामान्य स्वीकृति के लिए किया जाता है।

उदाहरण: आप घर जा रहे हैं? उत्तर- जी हाँ। (यहाँ 'जी हाँ' आदरपूर्ण स्वीकारोक्ति है।)

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निपात के प्रकार -

(1) स्वीकारात्मक निपात -

हाँ, जी, जी हाँ। ये सभी निपात स्वीकृति को व्यक्त करते हैं तथा सदैव स्वीकारार्थक उत्तर के आरम्भ में आते हैं।

उदाहरण -

  • तुम विद्यालय जाते हो ? उत्तर- जी।
  • प्रश्न- आप घर जा रहे हैं ? उत्तर- जी हाँ।

'जी' तथा 'जी हाँ' निपात विशेष आदरसूचक स्वीकारार्थक उत्तर के समय प्रयुक्त होते हैं।

(2) नकारात्मक निपात - नहीं, जी नहीं।

उदाहरण - तुम्हारे पास हिन्दी की पुस्तक है? उत्तर- नहीं।

(3) निषेधात्मक निपात - मत।

उदाहरण - गलत कम मत कीजिए। ; तुम वहाँ मत जाना । 

(4) आदरार्थक निपात - क्या, न।

उदाहरण -

  • क्या - तुम वहाँ जाकर क्या करोगे ?
  • न - तुम हारमोनियम बजाना नहीं जानते हो न ?

(5) तुलनात्मक निपात - सा।

उदाहरण - सा - राम सा काम करना बहुत कठिन है।

(6) विस्मयार्थक निपात - क्या, काश, कितना ।

उदाहरण -

  • क्या - कितनी सुंदर लड़की है!
  • काश - काश ! वह पढ़ाई कर लेता !

(7) बलार्थक या परिसीमक निपात - तक, भर, केवल, मात्र, सिर्फ, तो, भी, ही।

उदाहरण -

  • तक - मैंने उसे देखा तक नहीं। , मैं अभी भोपाल तक नहीं गया
  • भर- मेरे पास एक पेन भर है।, उसको एक कप चाय भर दे दो।
  • केवल - वह केवल अलमारी में रखने की वस्तु है।
  • मात्र - वह मात्र बी.ए. की है। 
  • ही - उसका ही मानना था कि हिन्दी एक सरल विषय है
  • भी - मैं भी मंडला में रहता हूँ।

(8) अवधारणबोधक निपात - ठीक, लगभग, करीब।

उदाहरण -

  • ठीक- उसकी ठीक समय नौकरी लग गई।, उसने ठीक पाँच बजे मुझे उठा लिया। 
  • लगभग - उसने लगभग एक हजार किलोमीटर की यात्रा पैदल कर ली । 
  • करीब - करीब पाँच लड़कों ने मिलकर एक स्कूल खोला। 

(9) आदरसूचक निपात - जी।

जी - यह निपात व्यक्तिवाचक या जातिवाचक नाम, उपाधि तथा पद आदि सूचित करने वाले संज्ञा शब्दों के बाद प्रयुक्त होता है।

जैसे - सरदार पटेल जी, गुरुजी, द्रौपदी मुर्मू जी इत्यादि । 

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लेखक - शक्ति पटेल (राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक)

  • B.A.(1st Rank in University, 4 Gold Medalist), M.A.(Sociology, Economics, Psychology, Education, Hindi), M.S.W., B.Ed., P.G.D.C.A., C.H.R., Diploma in Tribal Development (First Rank in University), P.G.D.R.D. (Enrolled), UGC-NET/JRF (Sociology), UGC-NET/Lectureship (Social Work)





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