किसी स्थान की स्थिति का निर्धारण दो प्रकार से किया जाता है. प्रथम - खगोलीय स्थिति जिसे अक्षांश या देशांतर के माध्यम से व्यक्त किया जाता है-
प्रथम, खगोलिकीय स्थिति (Astronomical location) जिसे अक्षांश तथा देशान्तर के माध्यम से व्यक्त किया जाता है।
दूसरी- भौगोलिक स्थिति (Geographical location) है जिसमें किसी स्थान को अन्य समीपवर्ती स्थानों, देशों, स्थलखण्डों तथा जलराशियों के परिप्रेक्ष्य में व्यक्त किया जाता है।
खगोलिकीय स्थिति को समझने के लिए ग्लोब या मानचित्र पर अक्षांश तथा देशान्तर रेखाओं का रेखाजाल समझना आवश्यक है।
अक्षांश (Latitude) और देशांतर (Longitude) पृथ्वी पर किसी स्थान की स्थिति निर्धारित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले निर्देशांक हैं।
अक्षांश (Latitude) :
- अक्षांश भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण में किसी स्थान की कोणीय दूरी है।
- अक्षांश रेखाएँ (parallels of latitude) भूमध्य रेखा के समानांतर पूर्व-पश्चिम दिशा में खींची जाती हैं।
- भूमध्य रेखा (Equator) 0° अक्षांश पर स्थित है।
- उत्तरी ध्रुव 90° उत्तर और दक्षिणी ध्रुव 90° दक्षिण अक्षांश पर स्थित है।
- ये रेखाएँ काल्पनिक होती हैं और पृथ्वी के चारों ओर वृत्त बनाती हैं।
- अक्षांश का उपयोग जलवायु और मौसम के पैटर्न को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण है।
- भूमध्य रेखा के पास के क्षेत्रों में उच्च तापमान और वर्षा होती है, जबकि ध्रुवों के पास के क्षेत्रों में ठंडे तापमान होते हैं।
देशांतर (Longitude):
- प्रधान मध्याह्न रेखा (ग्रीनविच मेरिडियन) 0° देशांतर पर स्थित है।
- देशांतर रेखाएँ (meridians of longitude) उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक उत्तर-दक्षिण दिशा में खींची जाती हैं।
- ये रेखाएँ भी काल्पनिक हैं और पृथ्वी के चारों ओर अर्धवृत्त बनाती हैं।
- देशांतर का उपयोग समय क्षेत्र निर्धारित करने में महत्वपूर्ण है।
अक्षांश और देशांतर का उपयोग:
- किसी भी स्थान का अक्षांश और देशांतर ज्ञात करके, हम उस स्थान की सटीक स्थिति निर्धारित कर सकते हैं।
- यह नेविगेशन, मानचित्रण और वैज्ञानिक अनुसंधान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी है।
- उदाहरण के लिए, हवाई जहाज या जहाज को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए अक्षांश और देशांतर का उपयोग करना होता है।
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