अंक जाल में न फँसें, परीक्षा के अंक जीवन का परिणाम नहीं–
विद्यार्थी को इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि बोर्ड परीक्षाएँ जीवन की परीक्षा नहीं, बल्कि केवल शैक्षणिक परीक्षाएँ हैं। जीवन की सफलता या असफलता इसके परिणाम पर निर्भर नहीं करती। अंकों के जाल में फंसे बगैर अगले लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना ही विद्यार्थी धर्म है। विद्यार्थी को भावी जीवन को लेकर आशान्वित रहना चाहिए। इसके अलावा खुद की तुलना दूसरों से करके हताश होने की आवश्यकता नहीं है। हमें अनेक ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं जिनके बोर्ड पारीक्षाओं में प्राप्तांक बहुत कम रहे हैं लेकिन उन्होंने अपने कार्यों से दुनिया में अपना नाम किया है। जब तक पालकों के द्वारा बच्चों के प्रदर्शन की सराहना और खराब प्रदर्शन को पीछे छोड़ आगे बढ़ने की कोशिश नहीं कराई जाएगी, तब तक बच्चे की सफलता की संभावना अल्प ही होती है। अधिक दबाव में आने से विद्यार्थी को शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए रिज़ल्ट कैसा भी हो, पालकों के लिए यह आवश्यक है कि वे बच्चों का सपोर्ट सिस्टम बने रहें।
कॅरियर के चुनाव में विद्यार्थी
को किन - किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
कॅरियर के निर्माण में
छात्रों की अभिरुचि और अभिक्षमताओं का ध्यान रखा जाना महत्वपूर्ण है। इन दोनों
तत्वों में उचित सामंजस्य होने पर ही में कॅरियर में सफलता प्राप्त होती है। यदि
किसी विशेष क्षेत्र में अभिरुचि के होने पर भी अभिक्षमता का अभाव है तो कॅरियर के
संबन्धित क्षेत्र में सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती। उदाहरण के लिए कोई विद्यार्थी
पायलट बनने में रुचि रखता है लेकिन उसे एक्रोफोबिया है तो वह पायलट बनने में सफल
होगा, यह निश्चित
रूप से नहीं कहा जा सकता।
कॅरियर और जीवन कौशल के बीच संबंध को आप किस तरह से देखते हैं?
वर्तमान समय प्रतिस्पर्धा का समय है। विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं में
शैक्षणिक ज्ञान के साथ – साथ नैतिक शिक्षा, अनुशासन और जीवन से संबंधित अन्य अभियोग्यताओं का परीक्षण
भी किया जाने लगा है। इस चुनौती को स्वीकारते हुए अपने कॅरियर का चुनाव किया जाना
आवश्यक है। अतः विद्यार्थी में स्वजागरूकता, भावनात्मक
प्रबंधन, समय प्रबंधन, उचित निर्णय
क्षमता आदि गुणों का होना बेहद जरूरी है। हालांकि स्कूलों में जीवन कौशल शिक्षा
संचालित है , तथापि इनके विकास के लिए निरंतर अभ्यास की
जरूरत है।
विभिन्न संकायों के अंतर्गत कॅरियर के बेहतर अवसर क्या - क्या हो सकते हैं ?
देखा जाए तो सभी संकायों में कॅरियर के अच्छे विकल्प उपलब्ध हैं जिनमें से
विद्यार्थी अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार चयन कर सकता है। कला संकाय के अंतर्गत सिविल
सेवा उत्तम विकल्प है। इसके अलावा लॉ, शिक्षण,
अर्थशास्त्र, इतिहास, भाषाविज्ञान, मनोविज्ञान, प्रबंधन आदि में से क्षेत्रों का चयन
किया जा सकता है। जीवविज्ञान के अंतर्गत मानव
चिकित्सा, पशु चिकित्सा, जैव
प्रौद्योगिकी, फार्मेसी, नर्सिंग, पैथोलॉजी अच्छे विकल्प हैं। गणित में इंजीनियरी एवं तकनीकी, भूगर्भ विज्ञान, सैन्य विज्ञान आदि क्षेत्रों में अच्छे
अवसर हैं। कॉमर्स के अंतर्गत सी. ए., कंपनी सचिव, प्रबन्धन, बैंकिंग आदि क्षेत्रों में कॅरियर
प्राप्त किया जा सकता है। उभरती अर्थव्यवस्था में कृषि संकाय के छात्रों के लिए भी
अवसरों की कमी नहीं है। ललित कला में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए भी संगीत एवं
संबन्धित विधाओं में पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं। सेना,
एनीमेशन, फिल्म उद्योग, शिक्षण आदि ऐसे
कॅरियर हैं जो सभी संकायों के लिए उपलब्ध हैं।
कॅरियर के निर्माण में बोर्ड
परीक्षाओं के प्राप्तांकों की उपादेयता कहाँ तक है?
बोर्ड परीक्षाओं में कम अंक
प्राप्त न होने पर विद्यार्थी को हतोत्साहित होने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि
बारहवीं के बाद कॉलेज में प्रवेश के लिए ये अंक महत्वपूर्ण हैं परंतु सीयूईटी, नीट , जेईई , क्लैट आदि परीक्षाओं से विद्यार्थियों को
काफी सुविधा प्राप्त है। कक्षा बारहवीं के अंक विद्यार्थी
के जीवन की प्रस्थिति और भूमिका के निर्धारक नहीं हैं, अपितु वास्तविक ज्ञान, कुशल व्यवहार और सदाचरण ही उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करते हैं। हालांकि उच्च अंक निम्न आर्थिक प्रस्थिति वाले
छात्रों को आगामी अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति जैसी सुविधाएं प्राप्त करने में
मददगार हैं ।
कॅरियर के निर्माण में शिक्षक की क्या भूमिका है?
विद्यार्थी के मन में कई बार कुछ ऐसी बातें होती हैं जो वे अपने पालकों से
शेयर नहीं कर सकते । विद्यार्थी के मन में प्रायः यह अंतर्द्वंद्व रहता है कि क्या
करना चाहिए और क्या नहीं। ऐसी स्थिति में शिक्षक द्वारा विद्यार्थी की मानसिक
स्थिति का विश्लेषण कर उसे विविध अवसरों की जानकारी उसे दी जा सकती है। प्रत्येक छात्र
में कोई न कोई ऐसा गुण होता है जिसे वह अपने कॅरियर के रूप में चुन सकता है। शिक्षक
इस उद्देश्य की पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
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