भारत में जनसंख्या घनत्व के स्थानिक भिन्नता के कारण -
भारत की जनसंख्या का स्थानीय वितरण एक समान नहीं है। इसमें बहुत अधिक क्षेत्रीय विभिन्नताएं हैं। भारत में जनसंख्या घनत्व के स्थानिक वितरण को दो भागों में रखकर अध्ययन किया जा सकता है - (क) भौतिक कारक (ख) सामाजिक-आर्थिक कारक।
(क) भौतिक कारक - ये जनसंख्या के घनत्व एवं वितरण को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। भौतिक कारकों में सम्मिलित हैं- भूमि की बनावट या आकृति, जलवायु, मृदा इत्यादि। यद्यपि विज्ञान एवं तकनीक में बहुत अधिक प्रगति हुई है परन्तु फि़र भी भौतिक कारकों का प्रभाव बरकरार है।
1. भू-आकृति - यह जनसंख्या वितरण के प्रतिरूप को प्रभावित करता है। गंगा-सिंधु का मैदानी भूभाग घनी आबादी का क्षेत्र है जबकि अरुणाचल प्रदेश समूचा पहाड़ियों से घिरा उबड़-खाबड़ पर्वतीय भूभाग है, अतः जनसंख्या का घनत्व सबसे कम एवं वितरण भी विरल एवं फ़ैला हुआ है।
2. जलवायु - किसी स्थान की जलवायु जनसंख्या के स्थानिक वितरण एवं प्रसार को प्रभावित करती है। अब राजस्थान के गरम और सूखे रेगिस्तान साथ ही ठंडा एवं आर्द्रता, नमी वाले पूर्वी हिमालय भूभाग का उदाहरण लें। इन कारणों से यहाँ जनसंख्या का वितरण असमान तथा घनत्व कम है। केरल एवं पश्चिम बंगाल की भौगोलिक परिस्थितियाँ इतनी अनुकूल हैं कि आबादी सघन एवं समान रूप से वितरित है। पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला के पवन-विमुख भाग तथा राजस्थान के भागों में घनत्व कम है।
3. मृदा - यह बहुत हद तक जनसंख्या के घनत्व एवं वितरण को प्रभावित करता है। ग्रामीण जनता अपना जीवन-यापन खेती से ही करती है। खेती के लिये उपजाऊ मिट्टी चाहिये। इसी वजह से भारत का उत्तरी मैदानी भाग, समुद्र तटवर्ती मैदानी भाग एवं सभी नदियों के डेल्टा क्षेत्र उपजाऊ एवं मुलायम मिट्टी की प्रचुरता के कारण सघन जनसंख्या वितरण प्रस्तुत करते हैं। दूसरी ओर राजस्थान के विशाल मरुभूमि क्षेत्र, गुजरात का कच्छ का रन तथा उत्तराखण्ड के तराई भाग जैसे क्षेत्रों में मृदा का कटाव तथा मृदा में रेह का उत्फ़ुलन (मिट्टी पर सफ़ेद नमकीन परत चढ़ जाना जो उसकी उपजाऊपन को नष्ट कर देती है) विरल जनसंख्या वाले क्षेत्र हो जाते हैं।
(ख) सामाजिक - आर्थिक कारक- भौतिक कारकों के समान ही सामाजिक-आर्थिक कारक भी जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व को प्रभावित करते हैं। परन्तु इन दोनों कारकों के सापेक्षिक महत्त्व के विषय में पूर्ण एकरूपता नहीं भी हो सकती है। कुछ स्थानों पर भौतिक कारक ज्यादा प्रभावशील होते हैं तो कुछ जगहों पर सामाजिक एवं आर्थिक कारक अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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