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 'आँख' पर मुहावरे' -


  • आँख या आँखों का तेल निकालना (महीन काम करना जिससे आँखों पर बहुत जोर पड़े) - दिन भर सुई में धागा पिरोते-पिरोते मेरी आँखों का तेल निकल गया।
  • आँख - कान खुले रखना (बहुत सर्तक रहना ) - आजकल तो हमें हर जगह अपने आँख - कान खुले रखने चाहिए, वरना कोई भी दुर्घटना घट सकती हैं।
  • आँख का पानी गिरना या आँख का पानी मर जाना (निर्लज्ज होना) - राजू की आँख का पानी मर गया हैं, वह तो अपने पिता के सामने भी बीड़ी पीता है।
  • आँखों की पट्टी खुलना (भ्रम दूर होना) - प्रेम के आँख की पट्टी तब खुली जब ठग उसे ठगकर चला गया।
  • आँखें निकालना (क्रोधपूर्वक देखना) - अरे मित्र! फूल मत तोड़ो, माली आँखें निकाल रहा हैं।
  • आँखें नीची होना (लज्जित होना) - जब पुत्र चोरी के जुर्म में पकड़ा गया तो पिता की आँखें नीची हो गई।
  • आँखें फाड़ कर देखना (आश्चर्य से देखना ) - अरे मित्र ! आँखें फाड़कर क्या देख रहे हो, ये तुम्हारा ही घर है।
  • आँखें बंद होना (मर जाना) - थोड़ी-सी बीमारी के बाद ही उसकी आँखें बन्द हो गईं ।
आँखें बिछाना (प्रेम से स्वागत करना)- जब प्रधानमंत्री आए तो स्कूल में सबने आँखें बिछा दीं।
आँखें मूँदकर रखना (बिना सोचे-समझे करना)- अध्यापक ने बच्चों से कहा कि हमें कोई काम आँख मूँदकर नहीं करना चाहिए।
आँखों में चुभना (बुरा लगना)- मैंने मित्र से कहा कि मित्र, ये रंग आँखों में चुभ रहा हैं, तुम दूसरे रंग की शर्ट पहन लो।
आँखें खुलना (होश आना, सावधान होना)- जनजागरण से हमारे शासकों की आँखें अब खुलने लगी हैं।
आँखें चार होना (आमने-सामने होना)- जब आँखें चार होती है, मुहब्बत हो ही जाती है।
आँखें मूँदना (मर जाना)- आज सबेरे उसके पिता ने आँखें मूँद ली।
आँखें चुराना (नजर बचाना, अपने को छिपाना)- मुझे देखते ही वह आँखें चुराने लगा।
आँखों में खून उतरना (अधिक क्रोध करना)- बेटे के कुकर्म की बात सुनकर पिता की आँखों में खून उतर आया।
आँखों में गड़ना (किसी वस्तु को पाने की उत्कट लालसा)- उसकी कलम मेरी आँखों में गड़ गयी है।
आँखें फेर लेना (उदासीन हो जाना)- मतलब निकल जाने के बाद उसने मेरी ओर से बिलकुल आँखें फेर ली है।
आँख मारना (इशारा करना)- उसने आँख मारकर मुझे बुलाया।
आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)- वह बड़ों-बड़ों की आँखों में धूल झोंक सकता है।
आँखें बिछाना (प्रेम से स्वागत करना)- मैंने उनके लिए अपनी आँखें बिछा दीं।
आँखों का काँटा होना (शत्रु होना)- वह मेरी आँखों का काँटा हो रहा है।
आँखों में पानी होना (शर्म-लिहाज होना)- रमेश की आँखों में पानी होता तो वह सबके सामने बड़े भाई का अनादर न करता।
आँखों में समाना (हमेशा ध्यान में रहना)- मुरली मनोहर श्याम तो मीराबाई की आँखों में समाए हुए थे।
आँखों से अंगारे/आग बरसना (अत्यधिक क्रोध आना)- जब रावण ने सीता का हरण कर लिया तो श्री राम की आँखों से अंगारे बरसने लगे थे।
आँखों से उतरना (मूल्य या सम्मान कम होना)- जब से विवेक ने अपने पिता को जवाब दिया हैं तब से रामू उनकी आँखों से उतर गया हैं।
आँखों से चिनगारियाँ निकलना (गुस्से या क्रोध से आँखें लाल होना)- जब रोहन ने मुझसे अपशब्द कहे तो मेरी आँखों से चिनगारियाँ निकलने लगी।
आँखों में सरसों फूलना (हरियाली ही हरियाली दिखाई देना अथवा मन उल्लास से भरना)- जब राहुल की लॉटरी खुल गई तो उसकी आँखों में सरसों फूलने लगी।
आँखों से परदा हटना (असलियत का पता लगना)- जब मुझे यह ज्ञात हुआ कि सादा ढंग से रहने वाला शेखर अमीर हैं तो मेरी आँखों से परदा हट गया।
आँखों पर बिठाना (बहुत आदर-सत्कार करना)- जब मोहन के घर कोई मेहमान आता हैं तो वह उसे आँखों पर बिठाकर रखता हैं।
आँखें आना (आँखों में लाली/सूजन आ जाना)- मेरी आँखें आ गई हैं इसलिए मैंने काला चश्मा लगा रखा है।
आँख उठाना (नुकसान करने की कोशिश करना)- यदि तुम्हारी ओर किसी ने आँख भी उठाई तो मैं उसे छोड़ूँगा नहीं।
आँख-कान खुले रखना (सतर्क रहना)- यहाँ यह पता करना कठिन है कि कौन मित्र है और कौन शत्रु। अतः हमेशा आँख-कान खुले रखो।
आँखें पथरा जाना (राह देखते-देखते थक जाना)- कृष्ण के लौटकर आने की प्रतीक्षा में गोपियों की आँखें पथरा गई।
आँखों पर पर्दा पड़ना (भले-बुरे की पहचान न होना)- क्या तुम्हारी आँखों पर पर्दा पड़ा है जो तुम्हें यह भी दिखाई नहीं देता कि तुम्हारा बेटा आजकल क्या गुल खिला रहा है ?
आँखों में घर करना (मन में जगह बना लेना)- अच्छे बच्चे सभी अध्यापकों की आँखों में घर कर लेते हैं।
आँखों में चर्बी छाना (घमंड में चूर होना)- रिश्वत और बेईमानी का पैसा उसे क्या मिला है, उसकी आँखों में तो चर्बी चढ़ गई है।
आँख लगना (प्रेम करना, जरा-सी नींद आना)- आँख लगी ही थी कि अचानक फोन की घंटी सुनकर वह उठ बैठा।
आँखों में रात काटना (चिंता/कष्ट के कारण सो न पाना)- पूनम के पति को पुलिसवाले न जाने क्यों थाने ले गए। वह रात भर नहीं लौटा, बेचारी पूनम की तो सारी रात आँखों में ही कटी।
आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)- चोर पुलिसवाले की आँखों में धूल झोंककर गायब हो गया।
आँख दिखाना (क्रोध करना)- मुझे क्यों आँखें दिखा रहे हो, मैंने तो तुम्हारी शिकायत नहीं की थी ?
आँखें ठंढी होना- (इच्छा पूरी होना)
आँखें लड़ना- (देखादेखी होना, प्रेम होना)
आँखें लाल करना- (क्रोध की नजर से देखना)
आँखें थकना- (प्रतीक्षा में निराश होना)
आँखों में खटकना- (बुरा लगना)
आँखें नीली-पीली करना- (नाराज होना)
आँख का अंधा, गाँठ का पूरा- (मूर्ख धनवान)
आँखों की किरकिरी होना- (शत्रु होना)
आँखों का प्यारा या पुतली होना- (बहुत प्यारा होना)
आँखों का पानी ढल जाना- (लज्जारहित हो जाना)
आँखें सेंकना- (किसी की सुन्दरता देख आँखें जुड़ाना)
आँखें गड़ाना- (दिल लगाना, इच्छा करना)
आँख फड़कना- (सगुन उचरना)
आँख रखना- (ध्यान रखना)
आँख में पानी रखना- (मुरौवत रखना)

(2) (अँगूठा पर मुहावरे)

अँगूठा चूमना (खुशामद करना)- साहित्यिक भी जब शासकों का अँगूठा चूमते हैं, तो बड़ा दुःख होता है।
अँगूठा दिखाना (मौके पर धोखा देना)- चालबाजों से बचकर रहो, वे अँगूठा दिखाना खूब जानते हैं।
अँगूठे पर मारना (परवाह न करना)- तुम्हारे जैसे कितनों को मैं अँगूठे पर मारता हूँ।
अँगूठा नचाना- (चिढाना)

(3) (आँसू पर मुहावरे)

आँसू पोंछना- (धीरज बँधाना)
आँसू बहाना- (खूब रोना)
आँसू पी जाना- (दुःख को छिपा लेना)

(4) (ओठ पर मुहावरे)

ओठ चाटना- (स्वाद की इच्छा रखना)
ओठ मलना- (दण्ड देना)
ओठ चबाना- (क्रोध करना)
ओठ सूखना- (प्यास लगना)

(5) (ऊँगली पर मुहावरे)

ऊँगली उठना (बदनाम करना)- भले पर कौन उँगली उठा सकता है ?
ऊँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना (थोड़ा झटककर अधिक झटकने का प्रयास करना)- लोभियों से सावधान रहो, वे ऊँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना जानते हैं।
पाँचों उँगलियाँ घी में होना (मौज-मस्ती में रहन)- वह तिकड़मी सरकारी ठीकेदार हुआ कि पाँचों उँगलियाँ घी में।
सीधी ऊँगली से घी न निकलना- (भलमनसाहत से काम न होना)
कानों में ऊँगली देना- (किसी बात को सुनने की चेष्टा न करना)

(6) ('कान' पर मुहावरे)

कान खोलना (सावधान करना)- मैंने उसके कान खोल दिये। अब वह किसी के चक्कर में नहीं आयेगा।
कान खड़े होना (होशियार होना)- दुश्मनों के रंग-ढंग देखकर मेरे कान खड़े हो गये।
कान फूंकना (दीक्षा देना, बहकाना)- मोहन के कान सोहन ने फूंके थे, फिर उसने किसी की कुछ न सुनी।
कान लगाना (ध्यान देना)- उसकी बातें कान लगाने योग्य हैं।
कान भरना (पीठ-पीछे शिकायत करना)- तुम बराबर मेरे खिलाफ अफसर के कान भरते हो।
कान में तेल डालना (कुछ न सुनना)- मैं कहते-कहते थक गया, पर ये कान में तेल डाले बैठे हैं।
कान पर जूँ न रेंगना (ध्यान न देना, अनसुनी करना)- सरकार तो बड़ी-बड़ी बातें कहती है, मगर अफसरों के कान पर जूँ नहीं रेंगती।
कान काटना (बढ़कर काम करना)- उसे छोटा न समझो, भाषण देने में तो वह बड़े-बड़ों के कान काटता है।
कान देना (ध्यान देना)- शिक्षकों की बातों पर कान दीजिए।
कान पकना (व्यर्थ बकवास सुनते रहने से चिढ)- किसी व्रत पर जब चारों ओर लाउडस्पीकरों पर बेसुरा अष्टयाम कीर्तन होता है, तो शहर-बस्ती के हम-आप भलेमानसों की क्या बात; सात लोक पार बैठे परमात्मा के भी कान पक जाते हैं।
कान पकड़ना (अनुचित न करने की प्रतिज्ञा करना)- अब से मैं कान ऐंठता हूँ कि कभी ऐसी गुस्ताखी न करूँगा।
कान उमेठना- (शपथ लेना)
कानों कान खबर होना- (बात फैलना)

(7) (कलेजा पर मुहावरे)

कलेजा निकाल कर रख देना (हृदय की बात कहना)- 'प्रणय-पत्रिका' के एक-एक गीत में बच्चन ने अपनी कल्पित प्रेयसी के प्रति कलेजा निकालकर रख दिया है।
कलेजा ठंढा होना (डाह पूरा होने पर संतोष)- कुणाल के अंधा भिखारी होने पर उसका कलेजा ठंडा हुआ।
कलेजा काढ़ना (प्रिय वस्तु का चला जाना)- उसने मेरी पांडुलिपि क्या खो दी, मेरा कलेजा काढ़ लिया।
कलेजा फटना (ईर्ष्या होना)- मुझे क्या सरकारी नौकरी मिल गयी कि मेरे एक घरवारी सहयोगी का कलेजा ही फटने लगा।
कलेजा टूक-टूक होना (हृदय पर गहरा आघात पहुँचना)- नृप हरिश्चंद्र की विपत्तियों को देखकर किसका कलेजा टूक-टूक नहीं होता ?
कलेजा मुँह को आना (अत्यंत आतुरता)- उसकी बीमारी देखकर कलेजा मुँह को आता है।
कलेजे पर साँप लोटना (किसी की उन्नति याद कर जलन होना)- राम के राज्याभिषेक की खबर पर कैकयी की दासी मंथरा तक के कलेजे पर साँप लोटने लगा।
कलेजे पर पत्थर रखना (दिल मजबूत करना)- छोटे भाई विभीषण की दगाबाजी पर रावण ने कलेजे पर पत्थर रख लिया, इसके सिवा उसके पास चारा ही क्या था।
कलेजा चीरकर दिखाना (पूर्ण विश्र्वास दिलाना)- तुम्हीं मेरे सब कुछ हो, यह मैं कलेजा चीरकर दिखा सकता हूँ।
कलेजे से लगाना- (प्यार करना, छाती से चिपका लेना)
कलेजा काँपना- (डरना)
कलेजा थामकर रह जाना- (अफसोस कर रह जाना)

नाक कट जाना (प्रतिष्ठा नष्ट होना)- पुत्र के कुकर्म से पिता की नाक कट गयी।
नाक काटना (बदनाम करना)- भरी सभा में उसने मेरी नाक काट ली।
नाक-भौं चढ़ाना (क्रोध अथवा घृणा करना)- तुम ज्यादा नाक-भौं चढ़ाओगे, तो ठीक न होगा।
नाक में दम करना (परेशान करना)- शहर में कुछ गुण्डों ने लोगों की नाक में दम कर रखा है।
नाक का बाल होना (अधिक प्यारा होना)- मैनेजर मुंशी की न सुनेगा तो किसकी सुनेगा ?वह तो आजकल उसकी नाक का बाल बना हुआ है।
नाक रगड़ना (दीनतापूर्वक प्रार्थना करना)- उसने मालिक के सामने बहुत नाक रगड़ी, पर सुनवाई न हुई।
नाकों चने चबवाना (तंग करना)- भारतीयों ने अंगरेजों को नाकों चने चबवा दिये।
नाक पर मक्खी न बैठने देना (निर्दोष बचे रहना)- उसने कभी नाक पर मक्खी बैठने ही न दी।
नाक पर गुस्सा (तुरन्त क्रोध)- गुस्सा तो उसकी नाक पर रहता है।
नाक रखना (प्रतिष्ठा रखना)- क्रिकेट में जय ने कॉमर्स कॉलेज की नाक रख ली।
नाक-भौं सिकोड़ना (घृणा करना, सहन न कर पाना)- वह तो मुझे देखते ही नाक-भौं सिकोड़ने लगता है।
नाक-कान काटना (बहुत अधिक अपमानित करना)- उन्होंने अपने मित्रों के अपमान के बदले अपनी चतुराई से कितने ही सामंतों के सरे-दरबार नाक-कान काटे।
नाक ऊँची होना (प्रतिष्ठा बढ़ना)- पिछले टेस्ट-क्रिकेट में जीत के कारण हमारी नाक ऊँची हो गयी।
नाक रहना (इज्जत बचना)- भीम ने दुश्शासन को पछाड़कर द्रौपदी की नाक रख ली।

(9) ('मुँह' पर मुहावरे)

मुँह छिपाना (लज्जित होना)- वह मुझसे मुँह छिपाये बैठा है।
मुँह पकड़ना (बोलने से रोकना)- लोकतन्त्र में कोई किसी का मुँह नहीं पकड़ सकता।
मुँह उतरना (उदास होना)- परीक्षा में असफल होने पर श्याम का मुँह उतर आया।
मुँह पर कालिख लगना (कलंकित होना)- चोरी करते पकड़े जाने पर राजू के मुँह पर कालिख लग गई।
मुँह पर ताला लगना (चुप रहने के लिए विवश होना)- कक्षा में अध्यापक के आने पर सब छात्रों के मुँह पर ताला लग जाता है।
मुँह पर थूकना (बुरा-भला कहना)- कालू की करतूत देखकर सब उसके मुँह पर थूक गए।
मुँह फुलाना (अप्रसन्नता या असंतुष्ट होकर रूठ कर बैठना)- शांति सुबह से ही अपना मुँह फुलाए घूम रही है।
मुँह सिलना (चुप रहना)- मैंने तो अपना मुँह सिल लिया है। तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हारे विरुद्ध कुछ नहीं बोलूँगा।
मुँह काला करना (कलंकित होना)- दुश्चरित्र महिलाएँ न जाने कहाँ-कहाँ मुँह काला कराती फिरती है।
मुँह चुराना (सम्मुख न आना)- इस तरह समाज में कब तक मुँह चुराते फिरोगे। जाकर प्रधान जी से अपनी गलती की माफी माँग लो।
मुँह जूठा करना (थोड़ा-सा खाना/चखना)- यदि भूख नहीं है तो कोई बात नहीं। थोड़ा-सा मुँह जूठा कर लीजिए।
मुँहतोड़ जबाब देना (ऐसा उत्तर देना कि दूसरा कुछ बोल ही न सके)- मैंने ऐसा मुँहतोड़ जबाब दिया कि सबकी बोलती बंद हो गई।
मुँह निकल आना (कमजोरी के कारण चेहरा उतर जाना)- एक सप्ताह की बीमारी में ही उसका मुँह निकल आया है।
मुँह की बात छीन लेना (दूसरे के मन की बात कह देना)- आपने यह बात कहकर तो मेरे मुँह की बात छीन ली। मैं भी यही बात कहना चाहता था।
मुँह में खून लगना (अनुचित लाभ की आदत पड़ना)- इस थानेदार के मुँह में खून लग गया है। बेचारे गरीब सब्जी वालों से भी हफ़्ता-वसूली करता है।
मुँह मोड़ना (उपेक्षा करना)- जब ईश्वर ही मुँह मोड़ लेता है तब दुनिया में कोई सहारा नहीं बचता।
मुँह लगाना (बहुत स्वतंत्रता देना)- ऐसे घटिया लोगों को मैं मुँह नहीं लगाता।
मुँह बंद कर देना (शांत कराना)- तुम धमकी देकर मेरा मुँह बंद कर देना चाहते हो
मीठी छुरी (छली-कपटी मनुष्य)- वह तो मीठी छुरी है, मैं उसकी बातों में नहीं आती।
मुँह अँधेरे (बहुत सवेरे)- वह नौकरी के लिए मुँह अँधेरे निकल जाता है।
मुँह काला होना (अपमानित होना)- उसका मुँह काला हो गया, अब वह किसी को क्या मुँह दिखाएगा।
मुँह की खाना (हारना/पराजित होना)- इस बार तो राजू पहलवान ने मुँह की खाई है, पिछली बार वह जीता था।
मुँह धो रखना (आशा न रखना)- यह चीज अब मिलने को नही मुँह धो रखिए।
मुँह में पानी आना (लालच होना)- मिठाई देखते ही उसके मुँह में पानी भर आया।
मुँह पर (या चेहरे पर) हवाई उड़ना) (घबराना)- मास्टर साहब की आहट पाते ही उसके मुँह पर हवाई उड़ने लगी।
मुँह में लगाम न होना (बिना समझे बोलना)- जिसके मुँह में लगाम नहीं, उससे सँभलकर बात करो।
मुँह मीठा करना (शकुन-सूचक मिठाई खिलाना। भाई ! मुँह मीठा कराओ, तुम्हें लड़का हुआ है।
मुँह माँगी मुराद पाना (इच्छानुकूल वस्तु पाना)- यह सुलक्षणा पत्नी ! मुँह माँगी मुराद पा गये हो यार !
मुँह खुलना- (उदण्डतापूर्वक बातें करना, बोलने का साहस होना)
मुँह देना, या डालना- (किसी पशु का मुँह डालना)
मुँह बन्द होना- (चुप होना)
मुँह से लार टपकना- (बहुत लालची होना)
मुँह काला होना- (कलंक या दोष लगना)
मुँह धो रखना- (आशा न रखना)
मुँहफट हो जाना- (निर्लज्ज होना)
मुँह रखना- (लिहाज रखना)
मुँहदेखी करना- (पक्षपात करना)
मुँह चुराना- (संकोच करना)
मुँह चाटना- (खुशामद करना)
मुँह भरना- (घूस देना)
मुँह लटकना- (रंज होना)
मुँह आना- (मुँह की बीमारी होना)
मुँह की खाना- (परास्त होना)
मुँह सूखना- (भयभीत होना)
मुँह ताकना- (किसी का आसरा करना)
मुँह से फूल झड़ना- (मधुर बोलना)
मुँह में घी-शक्कर- (किसी अच्छी भविष्यवाणी का अनुमोदन करना)
मुँह से मुँह मिलाना- (हाँ-में-हाँ मिलाना, बही-खाता आदि में हिसाब सही न लिखकर भी जमा-खर्च या उत्तर सही लिख देना )

(10) ('दाँत' पर मुहावरे)

दाँत दिखाना (खीस काढ़ना)- खुद ही देर की और अब दाँत दिखाते हो।
दाँत गिनना (उम्र पता लगाना)- कुछ लोग ऐसे है कि उनपर वृद्धावस्था का असर ही नहीं होता। ऐसे लोगों के दाँत गिनना आसान नहीं।
दाँत निपोरना (गिड़गिड़ाना)- क्यों दाँत निपोरकर भीख माँग रहे हो, काम क्यों नहीं करते ?
दाँत पीसना (बहुत क्रोधित होना)- रमेश तो बात-बात पर दाँत पीसने लगता है।
दाँत काटी रोटी होना (अत्यन्त घनिष्ठता होना या मित्रता होना)- आजकल राम और श्याम की दाँत काटी रोटी है।
दाँत खट्टे करना (परास्त करना, हराना)- महाभारत में पांडवों ने कौरवों के दाँत खट्टे कर दिए थे।
दाँतों तले उँगली दबाना (दंग रह जाना)- जब एक गरीब छात्र ने आई.ए.एस. पास कर ली तो सब दाँतों तले उँगली दबाने लगे।
दाँत गड़ाना(कुछ हड़पने के लिए दृढ़ होना)- मेरी बगिया पर तुम दाँत जमाये हो; मैं फौजदारी तक देख लूँगा।
दाँत से दाँत बजना (बहुत जाड़ा पड़ना)- इस साल दिसंबर में दाँत बजने की नौबत आ गयी।
दाँत तोड़ना (बेकाम करना)- साँप के दाँत तोड़ दो, और उसे मदारी की तरह नचाओ।
दाँतों में जीभ-सा रहना (शत्रुओं से घिरा रहना)- लंका में विभीषण दाँतों में जीभ-से रहते थे।
दाँत खट्टे करना- (पस्त करना)
तालू में दाँत जमना- (बुरे दिन आना)
दाँत जमाना- (अधिकार पाने के लिए दृढ़ता दिखाना)
दाँत गिनना- (उम्र बताना)

(11) ('बात' पर मुहावरे)

बात का धनी (वायदे का पक्का)- मैं जानता हूँ, वह बात का धनी है।
बात की बात में (अति शीघ्र)- बात की बात में वह चलता बना।
बात चलाना (चर्चा चलाना)- कृपया मेरी बेटी के ब्याह की बात चलाइएगा ।
बात तक न पूछना (निरादर करना)- मैं विवाह के अवसर पर उसके यहाँ गया, पर उसने बात तक न पूछी।
बात बढ़ाना (बहस छिड़ जाना)- देखो, बात बढाओगे तो ठीक न होगा।
बात बनाना (बहाना करना)- तुम्हें बात बनाने से फुर्सत कहाँ ?

(13) ('गर्दन' पर मुहावरे)

गर्दन उठाना (प्रतिवाद करना)- सत्तारूढ़ सरकार के विरोध में गर्दन उठाना टेढ़ी खीर है।
गर्दन पर सवार होना (पीछा न छोड़ना)- जब देखो, तब मेरी गर्दन पर सवार रहते हो।
गर्दन काटना (जान से मारना, हानि पहुँचाना)- वह तो उनकी गर्दन काट डालेगा। झूठी शिकायत कर क्यों गरीब की गर्दन काटने पर तुले हो ?
गर्दन पर छुरी फेरना- (अत्याचार करना)

(12) ('सिर' पर मुहावरे)

सिर उठाना (विरोध में खड़ा होना)- देखता हूँ, मेरे सामने कौन सिर उठाता है ?
सिर भारी होना (सिर में दर्द होना, शामत सवार होना)- मेरा सिर भारी हो रहा है। किसका सिर भारी हुआ है जो इसकी चर्चा करें ?
सिर पर सवार होना (पीछे पड़ना)- तुम कब तक मेरे सिर पर सवार रहोगे ?
सिर से पैर तक (आदि से अन्त तक)- तुम्हारी जिन्दगी सिर से पैर तक बुराइयों से भरी है।
सिर पीटना (शोक करना)- चोर उस बेचारे की पाई-पाई ले गये। सिर पीटकर रह गया वह।
सिर पर भूत सवार होना (एक ही रट लगाना, धुन सवार होना)- मालूम होता है कि घनश्याम के सिर पर भूत सवार हो गया है, जो वह जी-जान से इस काम में लगा है।
सिर फिर जाना (पागल हो जाना)- धन पाकर उसका सिर फिर गया है।
सिर चढ़ाना (शोख करना)- बच्चों को सिर चढ़ाना ठीक नहीं।
सिर आँखों पर बिठाना (बहुत आदर-सत्कार करना)- घर पर आए गुरुजी को छात्र ने सिर आँखों पर बिठा लिया।
सिर ऊँचा उठाना (इज्जत से खड़ा होना)- अपनी ईमानदारी के कारण मुन्ना समाज में आज सिर ऊँचा उठाए खड़ा है।
सिर खाली करना (बहुत या बेकार की बातें करना)- कल भवेश ने घर आकर मेरा सिर खाली कर दिया।
सिर पर आसमान उठाना (बहुत शोरगुल करना)- माँ के बिना बच्चे ने सिर पर आसमान उठा लिया है।
सिर पर कफ़न बाँधना (मरने के लिए तैयार रहना)- सैनिक सीमा पर सिर पर कफ़न बाँधे रहते हैं।
सिर पर पाँव रख कर भागना (बहुत तेजी से भाग जाना)- पुलिस को देख कर डाकू सिर पर पाँव रख कर भाग गए।
सिर मुँड़ाते ही ओले पड़ना (कार्यारम्भ में विघ्न पड़ना)- यदि मैं जानता कि सिर मुँड़ाते ही ओले पड़ेंगे तो विवाह के नजदीक ही न जाता।
सिर सफेद होना (बुढ़ापा होना)- अब नरेश का सिर सफेद हो गया है।
सिर पर आ जाना (बहुत नजदीक होना)- परीक्षा मेरे सिर पर आ गयी है, अब मुझे खूब पढ़ना चाहिए।
सिर खुजलाना (बहलाना करना)- सिर न खुजलाओ, देना है तो दो।
सिर खाना (व्यर्थ की बातों से तंग करना)- मेरा सिर मत खाओ। मैं वैसे ही परेशान हूँ।
सिर नीचा करना (इज्जत बढ़ाना)- रमानाथ के अकेले बेटे ने अपने पिता का सिर ऊँचा कर दिया।
सिर चढ़ना (अशिष्ट या उदंड होना)- आपके बच्चे बहुत सिर चढ़ गए हैं। किसी की सुनते तक नहीं।
सिर पटकना (पछताना)- पहले तो मेरी बात नहीं मानी अब सिर पटकने से क्या होगा?
सिर पर खड़ा रहना (बहुत निकट रहना)- आप उसे कुछ समय के लिए अकेले भी छोड़ दिया करो। चौबीसों घंटे उसके सिर पर खड़े रहना ठीक नहीं है।
सिर पर तलवार लटकना (खतरा होना)- इस कंपनी में नौकरी करने पर हमेशा सिर पर तलवार ही लटकी रहती है कि कब कोई गलती हुई और नौकरी से निकाल दिए गए।
सिर फिरना (पागल हो जाना)- उसे मत छेड़ो। अगर उसका सिर फिर गया तो तुम लोगों की शामत आ जाएगी।
सिर मुड़ाते ओले पड़ना (कार्य आरंभ करते ही विघ्न पड़ना)- हमने व्यापार आरंभ किया ही था कि पुलिस वालों ने आकर हमारा लाइसेंस ही रद्द कर दिया। इसे कहते हैं सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना।
सिर चढ़कर बोलना (साक्षात् प्रभावशाली होना)- उसकी लेखनी में ऐसा जादू है, जो सिर चढ़कर बोलता है।
सिर गंजा कर देना (बहुत पीटना)- बदमाशी करोगे तो सिर गंजा कर दूँगा।
सिर ऊखल में देना (जान-बूझकर आफत मोल लेना)- जब सिर ऊखल में दिया तो मूसल का क्या डर ?
सिर का बोझ टलना (निश्र्चिंत होना)- बेटी का ब्याह हुआ, तो समझो सिर का बोझ टला।
सिर आँखों पर होना- (सहर्ष स्वीकार होना)
सिर खुजलाना- (बहाना करना)
सिर धुनना- (शोक करना)

(14) (हाथ पर मुहावरे)

हाथ पैर मारना (काफी प्रयास )- राम कितना मेहनत क्या फिर भी वह परीक्षा में सफल नहीं हुआ।
हाथ मलना (पछताना )- समय बीतने पर हाथ मलने से क्या लाभ ?
हाथ देना (सहायता करना )- आपके हाथ दिये बिना यह काम न होगा।
हाथ का खिलौना (किसी के आदेश के अनुसार काम करने वाला व्यक्ति)- बेचारा राजू इन दुष्टों के हाथ का खिलौना बन गया है।
हाथ पर हाथ धरे बैठना (कुछ कामकाज न करना)- राजू एम.ए. करने के बाद हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
हाथ भर का कलेजा होना (बहुत खुश होना)- अच्छी नौकरी मिलने से राम का हाथ भर का कलेजा हो गया है।
हाथों में चूड़ियाँ पहनना (कायरता का काम करना)- कायर! जाओ, हाथ में चूड़ियाँ पहनकर बैठे रहो।
हाथ को हाथ न सूझना (घना अंधकार होना)- घर में पार्टी चल रही थी कि अचानक बिजली चली गई। चारों ओर अँधेरा छा गया, हाथ को हाथ भी नहीं सूझ रहा था।
हाथ साफ करना (चोरी करना)- बस की भीड़ में मेरी जेब पर किसी ने हाथ साफ कर दिया।
हाथ पर हाथ धरे बैठना (बेकार बैठे रहना)- हाथ पर हाथ धरे बैठने से सफलता पाँव नहीं चूमती।
हाथ लगाना (आरंभ करना)- उसने मकान में हाथ लगा दिया है।
हाथ मलना (पछताना)- काम बिगड़ जाने पर हाथ मलने से क्या फायदा।
हाथ उठाना (पीटना)- बच्चों पर ज्यादा हाथ उठाओगे तो वे शोख हो जाएँगे।
हाथ खींचना (सहायता बंद करना)- उसने इन दिनों अनेक संस्थाओं से हाथ खींच लिया है।
हाथ फैलना (याचना करना)- हाथ फैलाने की आदत बुरी हैं।
हाथ साफ करना (चुरा लेना)- वह जिस बारात में जाता है, बिना हाथ साफ किये नहीं लौटता।
हाथ लगना (काम में आना)- तुम भला किसी के हाथ लगोगे।
हाथ पर सरसों जमाना (शीघ्र चाहना)- हाथ पर सरसों जमाने से काम खराब हो जाता है।
हाथ आना- (अधिकार में आना)
हाथ खींचना- (अलग होना)
हाथ खुजलाना- (किसी को पीटने को जी चाहना
हाथ देना- (सहायता देना)
हाथ पसारना- (माँगना)
हाथ बँटाना- (मदद करना)
हाथ गरम करना- (घूस देना)
हाथ चूमना- (हर्ष व्यक्त करना)
हाथ धोकर पीछे पड़ना- (जी-जान से लग जाना)
हाथ मारना- (उड़ा लेना, लाभ उठाना)
हाथ धो बैठना- (आशा खो देना)
हाथापाई करना- (मुठभेड़ होना)
हाथ पकड़ना- किसी स्त्री को पत्नी बनाना, आश्रय देना)

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