दृष्टि के लिए हमारे 2 नेत्र क्यों हैं, केवल एक ही क्यों नहीं?
एक नेत्र की बज्ञाय दो नेत्र होने के हमें अनेक लाभ हैं। इससे हमारा दृष्टि-क्षेत्र विस्तृत हो जाता है। मानव
के एक नेत्र का क्षैतिज दृष्टि क्षेत्र लगभग 150अंश होता है जबकि दो नेत्रों द्वारा यह लगभग 180अंश जाता
है। वास्तव में, किसी मंद प्रकाशित वस्तु के संसूचन की सामर्थ्य एक की बज़ाय दो संसूचकों से बढ़
जाती है।
शिकार करने वाले जंतुओं के दो नेत्र प्रायः उनके सिर पर विपरीत दिशाओं में स्थित होते हैं जिससे कि
उन्हें अधिकतम विस्तृत दृष्टि-क्षेत्र प्राप्त हो सके, परंतु हमारे दोनों नेत्र सिर पर सामने की ओर स्थित
होते हैं। इस प्रकार हमारा दृष्टि क्षेत्र तो कम हो जाता है परंतु हमें त्रिविम चाक्षुकी का लाभ मिल जाता
है। एक नेत्र बंद कीजिए, आपको संसार चपटा-केवल द्विमीय लगेगा। दोनों नेत्र खोलिए, आपको संसार
की वस्तुओं में गहराई की तीसरी विमा दिखाई देगी। क्योंकि हमारे नेत्रों के बीच कुछ सेंटीमीटर का
पृथकन होता है, इसलिए प्र॒त्येक नेत्र किसी वस्तु का थोड़ा-सा भिन्न प्रतिबिंब देखता है। हमारा मस्तिष्क
दोनों प्रतिबिंबों का संयोजन करके एक प्रतिबिंब बना देता है। इस प्रकार अतिरिक्त सूचना का उपयोग
करके हम यह बता देते हैं कि कोई वस्तु हमारे कितनी पास या दूर है।
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