मनोविज्ञान एक ऐसा क्षेत्र है जो हमारे मन को विज्ञानं के नियमो के द्वारा समझता है| यह समझने के लिए कि मनोविज्ञान क्या है, पहले यह समझा ज़रूरी है कि 'मन' क्या है|
'मन' हमारी कई भिन्न-भिन्न शक्तियों का संगठन है| ये शक्तियां अंदरूनी है, और हमारे विचारों में अर्थात हमारी सोच में झलकती है| उदाहरण के तौर पर-
- हमारे पास घटनाएं और जानकारी याद रखने की शक्ति है - जिसे हम यादाश्त कहते है;
- हमारे पास समस्याओं का अध्ययन कर उपाय निकालने की शक्ति है;
- हमारे पास औरों की बातें, हमारे आस-पास की घटनाएं, आदि समझने की शक्ति है - जिसे हम विचारशक्ति कहते है;
- हमारे पास एक चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने की शक्ति है;
- हमारे पास नयी-नयी बातें सीखने की शक्ति है; इत्यादि|
इन शक्तियों को हम प्रत्यक्ष रूप में देख नहीं सकते, फिर भी ये हमारे अंदर है यह निश्चित है क्योंकि इनके बिना हम हमारे रोज़ मर्रा का काम कर ही नहीं पाते| इन शक्तियों के इतने महत्त्वपूर्ण होने की वजह से वैज्ञानिक इनपर संशोधन करते रहते है| ज्योंकि इन शक्तियों को हम प्रत्यक्ष में देख नहीं सकते, वैज्ञानिक हमारे प्रत्यक्ष रुपी व्यवहार को देखकर इन शक्तियों का अनुमान लगते हैं| इसलिए आप कई बार पढ़ेंगे कि मनोविज्ञान मन और व्यवहार के अध्ययन का नाम हैं|
एक बात जानना हमारे लिए बोहोत आवश्यक है कि मन और दिमाग - ये दोनों एक ही चीज़ नहीं हैं| दिमाग हमारे शरीर का एक स्थूल हिस्सा है जबकि मन एक जाना-माना सूक्ष्म अंग हैं - इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है| हमारा दिमाग हमारे मन पर प्रभाव डालता है और हमारा मन, या फिर कहे हमारे सोच-विचार हमारे दिमाग पर असर करते हैं, किन्तु यह दोनों एक नहीं| जीवविज्ञानी दिमाग को गहराई से जांचते है| मनोवैज्ञानिक इसे उतना ही जांचते है जितना मन को समझने के लिए आवश्यक है|
आखिर में हमें 'विज्ञान' शब्द का प्रयोग क्यों किया गया है यह समझ लेना चाहिए| मनोवैज्ञानिक मन को विज्ञान के नियमो और पद्धति द्वारा समझते है| वे तर्क लगाकर, प्राक्कल्पना कर, जांच-पड़ताल कर, परीक्षण या पद्धतिबद्ध अवलोचन कर ही मन के विषय में किसी निष्कारच पर पहुँचते हैं|
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