बैगा जनजाति भारत के मध्य प्रदेश , झारखंड एवं छतीसगढ़ में पायी जाती है । बैगा समुदाय के लोग स्वयं को द्रविड़ के वंशज मानते हैं ।
बसाहट - सामान्यतया घने वनों में होती है ।
इनके ग्राम छोटे होते हैं ।
निवास - दीवारों के स्थान पर बांस एवं छत के खपरे के स्थान पर घास - फूस ,
ज्ञान - जंगल और जड़ी - बूटियों के बारे में
इन्हें गुनिया और ओझा का पर्याय माना जाता है
मंडला में बैगाओं का एक समूह भारिया बैगा कहलाता है । भारिया बैगाओं को बैगा समाज में हिन्दू पुरोहितों के समान महत्व प्राप्त है ।
भोजन - मांस , मोटे अनाज (स्वतः उत्पन्न होने वाले) , कंदमूल आदि
सुबह का भोजन - बासी , दोपहर का भोजन - पेज , रात्रि का भोजन - बियारी
द बैगा के लेखक बैरियर एल्विन हैं ।

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भौगोलिक वितरण - मंडला , डिंडौरी , शहडोल , उमरिया , अनूपपुर , बालाघाट
सतपुड़ा और मैकल श्रेणियाँ
बैगाचक क्षेत्र विख्यात है
नृत्य - सैला , करमा , फाग , परधौनी
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