राम सेतु से संबन्धित रोचक तथ्य
Ramsetu se sambandhit rochak tathya
नमस्कार मित्रो,
आप सभी यह तो जानते हैं कि रामसेतु अर्थात भगवान श्री राम द्वारा बनवाया गया सेतु भारत को पड़ोसी देश श्रीलंका से जोड़ता है। हम प्रेम के एक अद्भुत प्रतीक के रूप में इसे जानते हैं। इस लेख में हम इसी रामसेतु के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को विस्तार से जानेंगे । यहाँ आप रामसेतु का एरियल व्यू देख रहे हैं यानि अन्तरिक्ष से रामसेतु इस तरह का दिखाई देता है।
#1. यह सेतु प्रभु श्रीराम द्वारा समुद्र में बनवाया गया
था। समुद्र
के अंदर डूबे होने के कारण रामसेतु सीधा दिखाई नहीं देता लेकिन सैटेलाइट और गूगल मैप जैसे माध्यमों से इसे सरलता से देखा जा
सकता है।
#2. रामसेतु
को Adam’s Bridge अर्थात आदम का पुल भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसका निर्माण
रामायण काल में किया गया था। पुल का निर्माण नल व नील ने वानर सेना की सहायता से केवल पांच दिनों के
अंदर किया था। इसे नल सेतु भी कहा जाता है
क्योंकि नल वो आर्किटेक्ट थे जिन्होंने रामायण में पुल को डिजाइन किया था।
#3. रामसेतु
का विस्तार तमिलनाडु के रामेश्वरम में धनुषकोडी नामक स्थल से शुरू होकर श्रीलंका
के मन्नार द्वीप तक है, जिसकी लंबाई लगभग 48 किलोमीटर है।
#4. विश्व के प्राचीन निर्माण कार्य जैसे चीन की महान दीवार, मिस्र के पिरामिड इत्यादि 3 से 4 हज़ार वर्ष पुराने हैं जबकि राम सेतु को
वैज्ञानिक कम से कम सात हज़ार वर्ष से ज्यादा पुराना मान चुके हैं।
#5 इस पुल में ऊपर पत्थर तैर रहे हैं तथा नीचे रेत है। रेत यहाँ बाद में जमा
हुई है। वैज्ञानिकों ने यहाँ के पत्थरों को लगभग सात हज़ार वर्ष प्राचीन तथा रेत को
चार हज़ार वर्ष प्राचीन माना गया है। इससे सिद्ध होता है
कि रेत बाद में यहाँ नीचे जमा हो गई थी।
#6 वैज्ञानिक दृष्टिकोण इस पुल का निर्माण ज्वालामुखी के लावा से निकले
पत्थरों की सहायता से हुआ है जो अत्यधिक गर्म होते हैं तथा हवा-पानी के संपर्क में
आते ही अत्यधिक कठोर बन जाते हैं।इनमें सूक्ष्म छिद्र भी होते हैं। जब इन्हें पानी
में डाला जाता है तो इन छिद्रों में हवा भरी होने के कारण यह हल्के व स्पंजी हो
जाते हैं और पानी में तैरने लगते हैं।
#7 15वीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक यह सेतु सही अवस्था में तथा चलने लायक था। लोग तमिलनाडु से लंका के बीच आवागमन इसी पुल के माध्यम से करते थे लेकिन सन् 1480 में समुद्र में एक विशाल चक्रवात आया था जिसके बाद यह पुल पानी के अंदर थोड़ा डूब गया।
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